कोरोना से कराह रहे बिहारवासियों को अब बाढ़ ने रूलाया, बेकाबू होती स्थिती के बीच दस जिलों के करीब दस लाख की आबादी झेल रही है त्रासदी
By एस पी सिन्हा | Published: July 25, 2020 08:16 PM2020-07-25T20:16:31+5:302020-07-25T20:16:31+5:30
बिहार में लगातार खराब होती बाढ़ की स्थिति का जल संधाधन मंत्री संजय कुमार झा ने जायजा लिया. इस दौरान मोबाइल बंद रखने की मिली शिकायत पर मोतिहारी में विभागीय कार्यपालक अभियंता को निलंबित कर दिया गया.
पटना: बिहार में बाढ़ के कहर से जिले के कई इलाकों को हर साल जूझना पड़ता है. उत्तर बिहार में बाढ़ से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. नेपाल से बिहार में प्रवेश करने वाली नदियों का रुख बदला तो पुल और उसके एप्रोच रोड निशाना बन गए हैं. पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, सीतामढी एवं मधुबनी जिलों में सैकडों जगह छोटी-बड़ी सड़कों के ध्वस्त होने के साथ-साथ पुल-पुलिया और एप्रोच रोड टूटने से लाखों की आबादी प्रभावित हुई है.
बाढ़ के कहर के चलते दरभंगा रेलखंड के बाद अब मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज ट्रैक पर ट्रेनें बंद कर दी गई है. आधा दर्जन ट्रेनों का रूट डायवर्ट कर दिया गया है. बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही बारिश के बाद राज्य की सभी नदियां उफान पर हैं. बाढ़ के कहर से अब तक राज्य के 10 जिलों के 10 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं. इस बीच बाढ़ की वजह से समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन ठप हो गया और कई ट्रेनों के मार्ग बदल दिए गए हैं.
बिहार में लगातार खराब होती बाढ़ की स्थिति का जल संधाधन मंत्री संजय कुमार झा ने जायजा लिया. इस दौरान मोबाइल बंद रखने की मिली शिकायत पर मोतिहारी में विभागीय कार्यपालक अभियंता को निलंबित कर दिया गया. बाढ़ के गंभीर हालात को देखते हुए आज से राहत व बचाव कार्य में वायु सेना के हेलीकॉप्टर भी लगाए जा रहे हैं. रौद्र रूप दिखा रही गंडक नदी 2017 के स्तर से 26 इंच ऊपर पहुंच गयी गई है, जो यह नदी का सर्वोच्च जलस्तर है.
राज्य में लगातार नए इलाके बाढ की जद में आते जा रहे हैं. बीते 24 घंटे के दौरान गोपालगंज, पूर्वी चंपारण व दरभंगा में छह जगह बांध टूट गए हैं. समस्तीपुर-दरभंगा व मुजफ्फरपुर-सुगौली रेलखंड पर रेल परिचालन रोक दिया गया है. दर्जनों जगह सडक संपर्क भंग हो चुका है. बाढ प्रभावित समस्तीपुर और दरभंगा के बीच एक रेल पुल के समीप बाढ का पानी पहुंचने के बाद इस मार्ग पर रेल का परिचालन रोक दिया गया है. इस बीच, कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किए गए हैं और कई ट्रेनों के समापनस्थल में भी बदलाव किया गया है. बिहार में बागमती, घाघरा, गंडक, बूढी गंडक सहित कई नदियां राज्य के अधिकांश स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
बाढ़ के मौसम में उत्तर बिहार में लोगों का सहारा एकमात्र नाव ही होता है. यहां की अधिकतर महिलाएं नाव चलाने में दक्ष होती हैं. विपरीत परिस्थिति में वह किस्मत का रोना नहीं रोतीं. सरकार को कोसती हैं, कहती हैं- तुम्हारी नाव और नाविक तुम्हें मुबारक. हम समय के साथ दो-दो हाथ करने का सामर्थ्य रखते हैं. बाढ़ के बाद तुम फर्जी बिल बना कर अपने मकान को एक मंजिल और ऊंचा कर लेना. लेकिन, हमें अपने हाथों की मजबूती पर विश्वास है. लग्गा (पतवार) पर भरोसा है. साल दर साल बाढ के समय विपरीत परिस्थिति में भी हंसते-हंसते जी लेते हैं. यह साल भी किसी तरह व्यतीत हो ही जायेगा. फिलहाल नाव खेकर ही सही मझधार पार हो लेने दो. बता दें कि बरसात के मौसम में बारिश और बागमती के उफान से कई तटबंधों में रिसाव और टूटने की खबरें आती रहती हैं. ऐसे में बाढ का पानी गांवों में आने से चारो ओर जलजमाव हो जाते हैं. ऐसे में एकमात्र सहारा नाव ही होता है. पुरुषों के घर से प्रस्थान करने के बाद दिनचर्या के लिए नाव चलाने को लेकर महिलाएं कभी असमर्थता नहीं जताती. वे नाव लेकर स्वयं निकल पडती हैं.