पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने छोड़ा बीजेपी, कहा- देश का लोकतंत्र आज खतरे में है
By आदित्य द्विवेदी | Published: April 21, 2018 01:58 PM2018-04-21T13:58:41+5:302018-04-21T14:09:46+5:30
यशवंत सिन्हा ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो लोकतंत्र को खत्म करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। लोकतंत्र की सभी संस्थाएँ समाप्त की जा रही हैं। जानें उनके भाषण की प्रमुख बातें...
पटना, 21 अप्रैलः पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस वक्त देश का लोकतंत्र खतरे में है। बीजेपी प्रजातंत्र की सभी संस्थाओं को समाप्त करना चाहती है। संसद, न्यायपालिका, मीडिया, चुनाव आयोग हर जगह सरकार कंट्रोल करना चाहती है। उन्होंने कहा कि ऐसी सोच को मिट्टी में मिलाने के लिए वो देशव्यापी आंदोलन करेंगे। साथ ही स्पष्ट किया कि वो किसी पार्टी को ज्वॉइन नहीं करेंगे और ना ही उन्हें किसी पद की लालसा है। चुनाव राजनीति पहले ही छोड़ चुके थे, आज से दलगत राजनीति से भी संन्यास ले रहे हैं।
यशवंत सिन्हा के भाषण की बड़ी बातेंः-
- लोकतंत्र का पहला महत्वपूर्ण स्तंभ है संसद। आज तक भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि अगर एक प्रदेश में चुनाव हो रहा है तो संसद का सत्र छोटा कर दिया जाए।
- भारत सरकार के सात बजट मैंने पेश किए। इतना छोटा सत्र इससे पहले कभी हुआ ही नहीं था। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ ये बात कह रहा हूं भारत सरकार ने नियोजित ढंग से बजट सत्र नहीं चलने दिया।
- मैं भी एनडीए की सरकार में रहा हूं। जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे तो हम सबको आदेश था कि संसद सत्र चलना चाहिए। विपक्ष को मुद्दे उठाने का मौका देना चाहिए।
- मैं आपसे पूंछना चाहता हूं कि क्या एकबार भी प्रधानमंत्री ने विरोधी दलों के नेताओं को इकट्ठा करके उनसे बात-चीत की। सरकार को इसबात की कोई चिंता नहीं थी। सरकार को इस बात की खुशी थी कि सत्र नहीं चल रहा। क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव आने वाला था।
Today I am taking 'sanyas' from any kind of party politics, today I am ending all ties with the BJP: Former Finance Minister Yashwant Sinha in Patna. pic.twitter.com/cOvInznyza
— ANI (@ANI) April 21, 2018
- प्रजातंत्र में विश्वास और अविश्वास का प्रस्ताव जितना महत्वपूर्ण होता है उससे ज्यादा जरूरी कुछ नहीं। लोकसभा स्पीकर ने भी लोकतंत्र का मजाक बनाया।
- लोकतंत्र की दूसरी महत्वपूर्ण संस्था है देश की न्यायपालिका। सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि केस की बेंच बनाने में गड़बड़ी होती है। इस बात को दबा दिया गया। उसके बाद लगातार सुप्रीम कोर्ट के अंदर की बात बाहर आती रही। सुप्रीम को सड़े भाग की बदबू पूरे देश में फैल रही है।
- लोकतंत्र की तीसरी बड़ी संस्था है चुनाव आयोग। आम आदमी पार्टी के बीस विधायकों की सदस्यता बिना सुने हुए ही रद्द कर दी। बाद में नैसर्गिक न्याय का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने फटकार लगाई।
- देश के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ मीडिया पर हमला किया गया। टीवी चैनलों पर किस विषय पर डिबेट होगा यह भी कहीं ऊपर से तय हो रहा है।
ऐसे में कैसे चलेगा देश का प्रजातंत्र। आज अगर हमें कोई चिंता है तो देश के प्रजातंत्र की। अर्थव्यवस्था, अत्याचार वगैरह दूसरी सरकारें ठीक कर देंगी। लेकिन प्रजातंत्र की संस्थाएं मर जाएँगी तो उसे जीवित करने में बहुत वक्त लगता है।
यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं।