पंजाब: किसानों को धान की सीधी बुवाई के लिए मिलेंगे 1500 रुपये प्रति एकड़, सीएम भगवंत मान ने किया ऐलान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 30, 2022 05:28 PM2022-04-30T17:28:29+5:302022-04-30T17:28:29+5:30

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शनिवार को कहा है कि धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को 1,500 रुपए प्रति एकड़ की सहायता दी जाएगी।

farmers who go for direct sowing of paddy will be provided aid of rs 1500 per acre in punjab | पंजाब: किसानों को धान की सीधी बुवाई के लिए मिलेंगे 1500 रुपये प्रति एकड़, सीएम भगवंत मान ने किया ऐलान

पंजाब: किसानों को धान की सीधी बुवाई के लिए मिलेंगे 1500 रुपये प्रति एकड़, सीएम भगवंत मान ने किया ऐलान

Highlightsपंजाब में पानी के संरक्षण के लिए धान की फसल की सीधी बुवाई पर जोरकिसानों को दी जाएगी 1,500 रुपए प्रति एकड़ की सहायता

चंडीगढ़:पंजाब की भगवंत मान सरकार ने राज्य के किसानों के लिए धान की फसल की सीधी बुवाई के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शनिवार को कहा है कि धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को 1,500 रुपए प्रति एकड़ की सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा, किसान 20 मई से धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं। मैं किसानों से अपील करूंगा कि वह अपने परिवार और दोस्तों को सीधी बुवाई के लिए प्रोत्साहित करें जिससे पानी बचाया जा सके। 
   
मान ने एक वीडियो संदेश के जरिए किसानों तक अपनी बात पहुंचाई। दरअसल, धान की सीधी बुवाई डीएसआर तकनीक के तहत आती है। इसमें धान के बीजों को एक मशीन की मदद से खेत में लगाया जाता है। हालांकि पारंपरिक विधि के अनुसार, पहले धान के पौधों को किसान नर्सरी में उगाते हैं और फिर इन पौधों को उखाड़कर एक कीचड़ भरे खेत में रोपित किया जाता है, जिसमें पानी अधिक मात्रा प्रयोग होता है।

वहीं धान की परंपरागत बुवाई की तुलना में डीएसआर में कम पानी खर्च होता है। साथ ही ईंधन, समय और खेती की लागत के नजरिए से भी डीएसआर फायदेमंद है। डीएसआर तकनीक पानी के किफायती उपयोग तथा मिट्टी का समुचित ध्यान रखने की प्रेरणा देती है। जीवाश्म ईंधन जैसे डीजल, पेट्रोल का अधिक उपयोग पर्यावरण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। 

डीएसआर तकनीक में ऐसे ईंधन का उपयोग परंपरागत बिजाई की तुलना में कम होता है। इस तकनीक के इस्तेमाल में जमीन एवं जल-संसाधन संरक्षण के साथ-साथ मजदूरी व ऊर्जा की बचत होगी। बिजाई जून के दूसरे या तीसरे सप्ताह में करना चाहिए। 

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