नई दिल्ली: नए कृषि कानून को लेकर किसानों का प्रदर्शन अभी भी जारी है। इसी बीच रविवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। हालांकि, किसानों ने उन्हें वापस भेज दिया।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि कुछ छात्र किसानों को समर्थन देने के लिए आए थे, लेकिन उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया कि यह केवल किसानों का विरोध-प्रदर्शन है। छात्र जल्द ही यहां से चले गए।
इसके अलावा रविवार को ही 4-5 महिलाओं सहित छात्रों का एक समूह दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर पहुंचा। किसानों ने उनकी उपस्थिति पर विरोध दर्ज कराया। जैसे ही स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण हुई, पुलिस ने हस्तक्षेप किया और छात्रों को मौके से जाने के लिए कहा गया। जिसके बाद छात्र दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान रविवार को लगातार 18 वें दिन दिल्ली से लगती तमाम सीमाओं पर जमे रहे। इस बीच, संयुक्त किसान आंदोलन के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने सिंघू बॉर्डर पर 14 दिसंबर को भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है। सिंघू बॉर्डर पर किसान नेताओं ने आज संवाददाता सम्मेलन कर स्पष्ट किया कि भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) के भानु प्रताप जिन्होंने प्रदर्शन वापस लेने की बात कही है वह किसान मोर्चा से नहीं जुड़े हैं।
किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि भानु गुट उनके साथ कभी प्रदर्शन में साथ नहीं था और जो फैसले यहां से होंगे किसान आंदोलन के लिए वही मान्य होंगे। किसानों के प्रदर्शन के बीच आज सिंघू बॉर्डर पर तनाव उस समय बढ़ गया जब प्रदर्शन स्थल पर जगह नहीं होने के कारण कुछ किसानों ने 30-40 मीटर आगे की जगह का घेराव किया, हालांकि पुलिस ने बैरिकेडिंग कर किसानों को रोक दिया है।
इस दौरान कुछ किसान जमकर नारेबाजी कर रहे थे। इस बीच, सिंघू बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है और यहां उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि मैं शनिवार रात को यहां पहुंचा हूं, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा से और भी किसान यहां आ रहे हैं। प्रदर्शनकारी के मुताबिक 16 दिसंबर तक सिंघू बॉर्डर पर 500 और ट्रॉलियों के आने की उम्मीद है।