फैजाबाद (उप्र), सात नवंबर नाम परिवर्तन से गुजर रहे फैजाबाद जंक्शन पर पुराने साइनबोर्ड रंग दिये गये हैं तथा स्टेशन के मुख्य भवन के शीर्ष पर लगे पहचान सूचक बोर्ड को हटाकर उसके स्थान पर नये नाम ‘अयोध्या कैंट’ का बोर्ड लटका दिया गया है।
फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या करने के तीन साल बाद प्रशासन द्वारा हाल में 19वीं सदी के इस स्टेशन का भी नाम बदलने के कदम पर इतिहासकारों एवं स्थानीय लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया रही है। कई का मानना है कि इससे ‘इस ऐतिहासिक शहर की पहचान मिट’ जाएगी और ‘भ्रम पैदा’ होगा।
एक अन्य वर्ग ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले का यह कहते हुए स्वागत किया कि सार्वजनिक स्थानों पर सर्वत्र अयोध्या नाम इस्तेमाल किया जाना चाहिए क्योंकि ‘यह भगवान राम की नगरी है।’
आम तौर पर इस ऐतिहासिक स्टेशन भवन के सामने अपना रिक्शा खड़ा करने वाले 55 वर्षीय साधुराम ने कहा, ‘‘ नाम बदलना जरूरी नहीं था। पहले से ही अयोध्या स्टेशन है। यात्री अब भ्रमित हो जाएंगे। ’’
बारह साल की उम्र में शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद से फैजाबाद आ गये राम ने कहा कि अब उनके दिमाग में दो बातें हैं कि यात्रियों को ले जाने के दौरान -- इसे ‘फैजाबाद’ कहा जाए या ‘अयोध्या कैंट’।
फैजाबाद जंक्शन पर 2008 से कुली के तौर पर काम कर रहा राजेश कुमार (30) भी नाम बदलने के बाद परेशान है। वह अपने बैज ‘लाइसेंस्ड पोर्टर एन.आर 77 फैजाबाद ’ की ओर इशारा करता और फिर स्टेशन की ड्योढी पर लगे अस्थायी बैनर की ओर इंगित करता है जहां ‘हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और ऊर्दू में बड़े बड़े अक्षरों में ‘अयोध्या कैंट’ लिखा है।
उसने कहा, ‘‘ इससे बड़ा भ्रम पैदा होगा क्योंकि यहां से करीब 10 किलोमीटर दूर पर पहले से ही अयोध्या सिटी स्टेशन है। फैजाबाद या अयोध्या पहली बार आने वाले यात्री गलत स्टेशन पर उतर सकते हैं।’’
फैजाबाद सिटी, अयोध्या जिले में अपने नाम वाले शहर अयोध्या से करीब सात किलोमीटर दूर है तथा फैजाबाद एक मुख्य रेलवे स्टेशन है जो उत्तर रेलवे एवं लखनऊ-वाराणसी खंड में आता है। अयोध्या शहर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर है।
फैजाबाद स्टेशन का नाम बदलकर अयोध्या कैंट करने के प्रशासन के आदेश पर इस स्टेशन के भवन के शिखर पर लगा साइनबोर्ड हाल में हटाया गया। यह स्टेशन 1874 में अस्तित्व में आया था।
दिवाली के दिन पुराने साइनबोर्ड भी पोत दिये गये तथा ‘फैजाबाद जंक्शन’ (स्टेशन कोड एफ डी) को बदलकर ‘अयोध्या कैंट’ (स्टेशन कोड ए वाई सी) कर दिया गया।
प्रशासन ने स्टेशन परिसर की दीवारों पर पोस्टर लगा दिया है । एक ऐसा ही पोस्टर पूछताछ काउंटर पर है जिस पर लिखा है ‘ आम लोगों को एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि आज दो नवंबर , 2021 से फैजाबाद जंक्शन स्टेशन का नाम बदलकर अयोध्या कैंट कर दिया गया है।’’
प्लेटफार्म नंबर एक से बाहर निकलने के द्वार पर अर्धवृताकर पोस्टर लगाया गया है जिसपर भगवान राम एवं अयोध्या में प्रस्तावित राममंदिर की तस्वीर है।
हालांकि समयसारिणी पट्टिका एवं ट्रेन के डिब्बों पर अब भी फैजाबाद लिखा है। स्टेशन परिसर के बाहर उत्तर प्रदेश पर्यटन के साईनबोर्ड एवं स्टेशन पर पहुंचने के स्वागत मार्ग पर भी पुराना नाम ही है।
तीर्थयात्रियों को रामजन्मभूमि, हनुमान गढ़ी और कनक भवन घूमाने ले जाने वाले अयोध्या शहर के टूरिस्ट गाइड अंकित पांडे (25) ने कहा , ‘‘ नाम बदलना जरूरी था। फैजाबाद नाम नहीं रह सकता है क्योंकि पूरा जिला अब अयोध्या है तथा अयोध्या ‘प्रभु राम की नगरी है’।’’
वैसे विपक्ष ने इसे राजनीतिक फायदे के लिए हिंदू जनभावनाओं के साथ खेलने की कोशिश करार दिया है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह कहते हुए नाम परिवर्तन को सही ठहराया कि यह ‘इस स्थान की समृद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहचान को अक्षुण्ण रखने ’ की कोशिश का हिस्सा है।
फैजाबाद के इतिहासकार और ‘आप की ताकत’ पत्रिका के संपादक मंजूर मेहदी इस नाम परिवर्तन से मायूस हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ‘गंदी राजनीति’ का परिणाम है तथा ‘फैजाबाद की पहचान को मिटाने की कोशिश’ है । उन्होंने कहा कि चौक और कई अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर कई दुकानों एवं प्रतिष्ठानों ने अब भी बोर्ड पर पुराना नाम ‘फैजाबाद’ बनाये रखा है या नये एवं पुराने शहर का बताने वाला ‘फैजाबाद अयोध्या’ बोर्ड लगाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ फैजाबाद, अवध के नवाब की पहली राजधानी थी, उसने वैभवशाली दौर, समृद्ध वास्तुकला एवं साहित्यिक धरोहर देखी है। मैं पावनस्थल के रूप में अयोध्या पर गर्व करता हूं लेकिन मेरे फैजाबाद की अपनी पहचान है। मैं जब तक जीवित हूं तब तक मेरे कार्यालय के बोर्ड से फैजाबाद न मिटाया जाएगा और न ही बदला जाएगा। ’’
मेहदी को आशंका है कि इस्लामिक नाम वाले और शहरों के नाम भी बदले जा सकते हैं।
दिल्ली के इतिहासकार एवं लेखक राणा सफवी ने कहा कि अयोध्या एवं फैजाबाद हमेशा जुड़वा शहर के रूप जाने जाते हैं एवं ‘‘गंगा-जमुनी तहजीब’ के प्रतीक’ हैं।
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