दिल्ली के चंद अस्पतालों में ही जले/झुलसे लोगों के उपचार की सुविधा

By भाषा | Updated: November 21, 2021 20:57 IST2021-11-21T20:57:17+5:302021-11-21T20:57:17+5:30

Facility for treatment of burns/scorched people only in few hospitals of Delhi | दिल्ली के चंद अस्पतालों में ही जले/झुलसे लोगों के उपचार की सुविधा

दिल्ली के चंद अस्पतालों में ही जले/झुलसे लोगों के उपचार की सुविधा

(अंजलि पिल्लै और सलोनी भाटिया)

नयी दिल्ली, 21 नवंबर राष्ट्रीय राजधानी में 2017 से औसतन हर वर्ष 500 से अधिक लोग आग की घटनाओं में जल जाते हैं या झुलस जाते हैं लेकिन दिल्ली जैसे शहर में ऐसी घटनाओं के पीड़ितों के इलाज के लिए महज चंद अस्पतालों में बर्न वार्ड हैं।

केंद्र द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल एवं राममनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) तथा दिल्ली सरकार द्वारा संचालित लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी)जैसे महज कुछ ही अस्पतालों में जले/झुलसे व्यक्तियों के उपचार के लिए पूर्ण सुविधाएं हैं तथा दिल्ली सरकार के गुरू तेग बहादुर अस्तपाल में इस संबंध में कुछ सुविधाएं हैं।

इस साल के प्रांरभ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बर्न्स एंड प्लास्टिक सर्जरी इकाई का उद्घाटन किया गया।

दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के निदेशक अतुल गर्ग ने पिछले महीने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी को पत्र लिखकर यह विषय उठाया था।

पत्र में लिखा गया है, ‘‘ नौ अक्टूबर को नरेला का एक औद्योगिक भवन आग बुझाने के दौरान ढह गया... इस विभाग ने घायलों/जले/झुलसे व्यक्तियों को निकटतम सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल पहुंचाया जहां उनका प्राथमिक उपचार किया गया और फिर वहां से उन्हें उच्च केंद्र भेज दिया गया क्योंकि उनके यहां बर्न वार्ड नहीं था। उन्हें सर गंगाराम अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती नहीं किया क्योंकि अस्पताल में बर्न इकाई नहीं है। ऐसी स्थिति को संभालना बड़ा मुश्किल था क्योंकि उस वक्त भावनात्मक ज्वार बहुत ज्यादा था।’’

पत्र में गर्ग ने अपील की कि सभी बड़े निजी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों एवं नर्सों के साथ बर्न वार्ड खोले जाएं ताकि घायलों/जले/ झुलसे लोगों को यथाशीघ्र विशिष्ट उपचार मिल सके।

गर्ग ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘ आग बुझाने के अभियान में लगे हमारे अपने ही विभाग के अग्निशमन कर्मियों को जल जाने/झुलस जाने के बाद यह पत्र लिखा गया था। इस तरह हमें पता चला था कि यहां किसी निजी अस्पताल में बर्न वार्ड नहीं है तथा महज चंद सरकारी अस्तपालों में बर्न वार्ड की सुविधा है।’’

डीएफएस के आंकडों के अनुसार 2017 में आग संबंधी घटनाओं में 549 लोग झुलस गये जबकि 79 लोगों की मौत हेा गयी, 2018 में 553 लोग झुलस गये जबकि 95 की मौत हो गयी, 2019 में 843 लोग झुलस गये थे जबकि 100 की जान चली गयी थी, 2020 में 421 लोग झुलस गये जबकि 41 ने जान गंवायी तथा 2021 में 19 नवंबर तक 327 लोग झुलस गये तथा 70 की मौत हो गयी।

ज्यादातर अस्पतालों ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि बर्न इकाई में लगने वाला भारी भरकम खर्च उनके यहां ऐसी सुविधा नहीं होने की वजह है।

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