फेसबुक के अंदरूनी दस्तावेज से हुआ खुलासा, 2019 के भारत चुनाव के पहले भड़काऊ सामग्री को दिया था बढ़ावा
By विशाल कुमार | Published: October 25, 2021 11:45 AM2021-10-25T11:45:06+5:302021-10-25T12:34:00+5:30
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की विशेष खोजी रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक भारत में अपने प्लेटफॉर्म पर अभद्र सामग्रियों पर लगाम लगाने में संघर्ष कर रहा है. भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं, लेकिन फेसबुक का एल्गोरिदम केवल 5 भाषाओं पर निगरानी रख पा रहा है.
नई दिल्ली: अग्रणी अमेरिकी टेक कंपनी फेसबुक पर आरोप लगे हैं कि कंपनी ने साल 2019 के भारतीय आम चुनाव से पहले अपने प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच, भ्रामक सूचनाएं और भड़काऊ पोस्ट, खासकर मुस्लिम विरोधी सामग्री, को बढ़ावा देने की जानकारी सामने आने के बाद भी उन्हें रोकने में नाकाम रहा बल्कि उसके एल्गोरिदम ने ऐसी सामग्रियों को बढ़ावा दिया.
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की विशेष खोजी रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक भारत में अपने प्लेटफॉर्म पर अभद्र सामग्रियों पर लगाम लगाने में संघर्ष कर रहा है जबकि ऐसे अनेकों मामले सामने आ चुके हैं जब भारत में सोशल मीडिया पर नफरती, भड़काऊ और सांप्रदायिक सामग्री के कारण ही हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. दस्तावेजों से पता चलता है कि फेसबुक को कई सालों से इन मामलों का पता है.
दस्तावेजों से पता चलता है कि फेसबुक राजनीतिक रूप से संवेदनशील होने के कारण भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस को खतरनाक संगठन के रूप में चिन्हित करने से बच रहा है क्योंकि इससे देश में उसका संचालन प्रभावित हो सकता है,
हिंदी और बंगाली में सबसे अधिक उल्लंघन
यही नहीं फेसबुक भारत को दुनिया के सबसे अधिक खतरे वाले देशों में देखता है और हिंदी और बंगाली भाषाओं को हिंसक भाषणों का उल्लंघन करने के मामले में सबसे अधिक संवेदनशील मानता है लेकिन इसके बावजूद उसने इन भाषाओं के विशेषज्ञों की नियुक्तियों पर जोर नहीं दिया.
इसके साथ ही भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं, लेकिन फेसबुक का एल्गोरिदम केवल 5 भाषाओं पर निगरानी रख पा रहा है.
शोधकर्ता ने बनाया नया अकाउंट, हेट स्पीच और भ्रामक सूचनाओं से भर गया
फेसबुक के एक शोधकर्ता ने देश में आम चुनावों से ठीक पहले फरवरी, 2019 में एक नया अकाउंट बनाया था ताकि पता चले कि किसी नए यूजर के अकाउंट पर फेसबुक के स्वचालित एल्गोरिदम से क्या-क्या दिखाया जाता है.
फेसबुक ने उस अकाउंट पर बड़े पैमाने पर नफरती भाषणों और भ्रामक सूचनाएं साझा कीं. शोधकर्ता ने कहा कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी में इतने मरे हुए लोगों की तस्वीरें नहीं देखीं जितनी तीन हफ्ते के टेस्ट के दौरान देखीं.
फेसबुक व्हिसिलब्लोअर ने सामने लाई सच्चाई, सीनेट में भी दी गवाही
न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि शोधकर्ता की रिपोर्ट फेसबुक के कर्मचारियों द्वारा लिखे गए दर्जनों अध्ययनों और मेमो में से एक थी. फेसबुक के इन दस्तावेजों को कंसोर्टियम ऑफ न्यूज ऑर्गेनाइजेशंस ने हासिल किया था जिसमें न्यूयॉर्क टाइम्स भी शामिल था.
इन दस्तावेजों को फेसबुक के एक पूर्व प्रोडक्स मैनेजर फ्रांसेस ह्यूगन ने इकट्ठा किया था और एक व्हिसिलब्लोअर बन गई थी और हाल ही में सीनेट की एक उपसमिति के सामने अपना बयान भी दर्ज कराया.
बजरंग दल को खतरनाक संगठन माना
फेसबुक ने भाजपा से जुड़े कट्टरपंथी समूह बजरंग दल को अपने प्लेटफॉर्म पर मुसलमानों के खिलाफ सामग्री पोस्ट करने वाला करार दिया है. दस्तावेजों से पता चलता है कि धार्मिक हिंसा भड़काने के लिए वह बजरंग दल को ‘खतरनाक संगठन’ घोषित करने जा रहा था. हालांकि ऐसा अब तक नहीं कर पाया है.
फेसबुक ने कहा- सुधार करेंगे
फेसबुक के एक प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इस काल्पनिक टेस्ट से हमें यूजरों को सामग्री उपलब्ध कराने की प्रणालियों का गहन, अधिक कठोर विश्लेषण करने और उसके आधार पर सुधार करने के लिए प्रेरित किया है.
ट्विटर ने माना था- वह दक्षिणपंथी सामग्रियों को बढ़ावा देता है
हाल ही में ट्विटर ने अपने एक अध्ययन में स्वीकार किया था कि उसके एल्गोरिदम में खामी है जो कि वामपंथी खेमे की सामग्रियों के बजाय दक्षिणपंथी राजनेताओं और समाचार संगठनों के ट्वीट्स को बड़ी संख्या में आगे बढ़ाता है.
इस अध्ययन के नतीजों को चिंताजनक बताते हुए ट्विटर के अधिकारियों ने अब अपना एल्गोरिदम बदलने की बात कही है. इसके साथ ही उसने बड़ी संख्या में अपना डेटा थर्ड पार्टियों को भी उपलब्ध कराने की बात कही है.