विशेषज्ञ टीम को हिमालयी धामों को जाने वाले तीन पैदल मार्गों के बहाल होने की उम्मीद
By भाषा | Updated: December 14, 2021 16:49 IST2021-12-14T16:49:44+5:302021-12-14T16:49:44+5:30

विशेषज्ञ टीम को हिमालयी धामों को जाने वाले तीन पैदल मार्गों के बहाल होने की उम्मीद
देहरादून, 14 दिसंबर उत्तराखंड में स्थित चार धामों - बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री— के पुराने पारंपरिक रास्तों की तलाश में गई विशेषज्ञ टीम हिमालयी मंदिरों को जाने वाले कम से कम तीन पैदल मार्गों के बहाल होने की उम्मीद के साथ लौटी है ।
लंबे अभियान की समाप्ति के बाद दल के नेता राकेश पंत ने बताया कि खोजबीन के दौरान मिले तीन पैदल मार्ग अगर बहाल हो जाते हैं तो तीर्थयात्रा की असली भावना वापस आने के साथ ही उत्तराखंड में पर्यटन को भी बहुत बढावा मिलेगा ।
पैदल मार्ग शोधकर्ताओं, राज्य आपदा प्रतिवादन बल के अधिकारियों, मीडिया और अन्य क्षेत्रों से जुडे विशेषज्ञों की यह 25 सदस्यीय टीम 50 दिन तक उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में विपरीत मौसमी दशाओं में 1158 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय कर सोमवार को ऋषिकेश लौटी ।
पंत ने कहा, ' दुरूह और चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद यह यात्रा बहुत अच्छी और समृद्ध अनुभव वाली रही । हमें नब्बे साल के उन बुजुर्ग लोगों से बात करने का अवसर भी मिला जो उस पुराने समय के जीवित प्रमाण हैं जब इन खो चुके मार्गों का श्रद्धालुओं द्वारा इस्तेमाल किया जाता था ।'
यह टीम मंदिरों के रास्तों में पडने वाले 'चत्तियों' या ट्रांजिट शिविरों में भी रूकी जो मोटर मार्गों के अभाव में पैदल होने वाली तीर्थयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के बीच बहुत लोकप्रिय थे ।
पंत ने कहा कि जिन पैदल रास्तों को थोडे़ से प्रयास के साथ दोबारा बहाल किया जा सकता है, उनमें ऋषिकेश देवप्रयाग हाइकिंग ट्रेल, भटवाडी—बेलक दर्रा—बूढा केदार—पंवाली कांठा होते हुए गंगोत्री से केदारनाथ पैदल मार्ग और फालाचा टॉप होते हुए त्रियुगी नारायण और धरासू से यमुनोत्री पैदल मार्ग शामिल हैं ।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर पैदल मार्ग टिहरी बांध के निर्माण के कारण पूरी तरह से लुप्त हो चुके हैं । पंत का 'ट्रेक द हिमालयाज' नाम का गैर सरकारी संगठन है जिसने उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के साथ मिलकर खो गए चारधाम पैदल रास्तों को खोजने के लिए अभियान चलाया ।
उन्होंने बताया कि उनका संगठन पर्यटन विकास बोर्ड के साथ मिलकर दो माह के अभियान के दौरान रहे उनके अनुभवों को सिमेटते हुए एक वृत्त चित्र बनाने और एक पुस्तक का रूप देने के काम में लगा है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।