एक्सक्लूसिव इंटरव्यू पीयूष गोयल: पवार हमारे मित्र, लेकिन समर्थन का सवाल नहीं
By संतोष ठाकुर | Published: April 21, 2019 03:21 AM2019-04-21T03:21:24+5:302019-04-21T03:21:24+5:30
लोकसभा चुनाव 2019: केंद्रीय रेल मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पीयूष गोयल के पास भाजपा के संपूर्ण प्रचार नीति और उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है। अपने व्यस्त समय में से उन्होंने लोकमत से बातचीत के लिए वक्त निकालते हुए लोकमत समूह के डिप्टी एडिटर संतोष ठाकुर से सभी मसलों पर खुलकर चर्चा की।
केंद्रीय रेल मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पीयूष गोयल इन दिनों काफी व्यस्त है। एक ओर, उनके पास भाजपा के संपूर्ण प्रचार नीति और उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है तो दूसरी ओर उन पर चुनाव में समस्त खर्च के हिसाब—किताब का बोझ है। इसके अलावा वह विभिन्न राज्यों में जाकर पार्टी का प्रचार भी कर रहे हैं। अपने व्यस्त समय में से उन्होंने लोकमत से बातचीत के लिए वक्त निकालते हुए लोकमत मराठी के दिल्ली संस्करण के संपादक विकास झाड़े और लोकमत समूह के डिप्टी एडिटर संतोष ठाकुर से सभी मसलों पर खुलकर चर्चा की। उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश।
प्रश्न: दो चरण के चुनाव के बाद कितनी सीटों की उम्मीद भाजपा को है?
उत्तर: जो लहर जमीर पर दिख रही है उसके हिसाब से पहले से अधिक सीटें हमें मिलेंगी। इसकी वजह पूर्वोत्तर, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के साथ ही दक्षिणी राज्यों में हमारी उपस्थिति का बढ़ना है। हम देश में उन गांव तक पहुंचे हैं जहां पहले हमारी पहुंच नहीं थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता सबसे बड़ा कारण है।
प्रश्न: इस चुनाव के बड़े मुददे क्या हैं। भाजपा किन मुददों पर दांव लगा रही है?
उत्तर: चुनाव में कोई मुददा छोटा या बड़ा नहीं होता है। हर मुददा महत्वपूर्ण होता है। देश में महंगाई को एकदम नियंत्रण में रखना, विश्व की सबसे तेज गति वाली अर्थव्यवस्था बनने से लेकर आतंकवादी अडडों को उसके गढ़ में जाकर ध्वस्त करने के साथ ही विकास के तथ्य सभी के सामने हैं। महाराष्ट्र में 2008 में मुंबई हमला हुआ तो 2010 में जर्मन बेकरी पुणे पर विस्फोट हुआ। केंद्र और राज्य की कांग्रेस सरकार उसके सामने लाचार—असहाय दिखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सेना को आतंकवाद के खिलाफ पूरी छूट दी। जिसके बाद सेना ने जवाब भी दिया। देश के 130 करोड़ लोग यह समझ गये है कि अगर देश सुरक्षित है तो परिवार सुरक्षित है। विकास सुरक्षित है, व्यवहार सुरक्षित है, व्यापार सुरक्षित है। जनता जानती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कोई अन्य निर्णायक और मजबूत नेतृत्व नहीं दे सकता है।
प्रश्न : आप निर्णायक और मजबूत सरकार की बात कर रहे है लेकिन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने शहीद हेमंत करकरे को लेकर जो बयान दिया, उस पर क्या कहेंगे?
उत्तर : पार्टी इसको लेकर अपना रूख जाहिर कर चुकी है। हमनें अपना स्पष्टीकरण दिया है।
प्रश्न : क्या प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा जनता से बातचीत के लिए विशेष हिदायत देगी। क्या उनकी विशेष ब्रीफिंग—डी ब्रीफिंग होगी।
उत्तर : पार्टी ने स्पष्टीकरण कर दिया है। स्वयं प्रज्ञा ठाकुर ने अपना स्पष्टीकरण दिया है। इस मामले में आगे पार्टी को जो करना होगा वह पार्टी करेगी।
प्रश्न : उत्तर प्रदेश और बिहार में महागठबंधन कितनी चुनौती है?
उत्तर: बिहार में यह गठबंधन छिन्न—भिन्न है। परिवार में झगड़ा है। इसी तरह उप्र में भी गठबंधन नया नहीं है। वर्ष 2017 में भी कहा गया था कि यूपी के लड़के एक साथ। लेकिन नतीजा सभी के सामने है। कोई चुनौती नहीं है। हम बिहार में बढ़त बनाएंगे। उप्र में पहले से अधिक सीट जीतेंगे।
प्रश्न: पहले से अधिक सीट का मतलब 73 की जगह 74 सीटें आप जीतेंगे। यह एक अधिक सीट रायबरेली होगी या अमेठी होगी। भाजपा किस सीट को जीतना चाहती है?
उत्तर: संभव है कि दोनों ही सीट हम जीत जाएं। इतना तो पक्का है कि राहुल गांधी अमेठी छोड़कर भाग गए हैं। यह उनका डर है कि वह वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रश्न : आप कह रहे है कि वो मैदान छोड़कर भाग गए हैं। प्रधानमंत्री भी तो पिछली बार दो सीटों से चुनाव लड़े थे। कांग्रेस का कहना है कि वो लड़े तो वो राष्ट्रीय नेता और हम लड़े तो डर कर भाग गए?
उत्तर : यह इसलिए कि या तो उन्होंने अमेठी में कुछ काम किया हो, रैली देखिए वहां प्रधानमंत्री की। जो रपट वहां से आ रही है उसमें भी कहा जा रहा है कि शायद राहुल गांधी को वहां से जीतने में मुश्किल हो सकती है।
प्रश्न: राहुल गांधी को आप चुनौती नहीं मान रहे हैं। लेकिन प्रियंका गांधी को लेकर क्या कहेंगे। वह लगातार प्रधानमंत्री पर हमला भी कर रही हैं। लेकिन भाजपा चुप है। यह क्या डर है। जबकि राहुल गांधी के चौकीदार चोर है के नारे पर समस्त भाजपा आक्रमक है।
उत्तर: चौकीदार की वजह से चोरों की नींद उड़ी हुई है। ऐसे में वह मिलकर गलतबयानी—नेगेटिव कैंपन की ओर बढ़ रहे हैं। हम विकास की बात कर रहे हैं। देश की सुरक्षा की बात कर रहे हैं। जनता हमारे काम से सहमत है। ऐसे में कांग्रेस को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। प्रियंका वाड़ा जी की बात करें तो वह एक टूरिस्ट की तरह आईं हैं। उन्होंने देखा की भाई फेल हो गया है तो उन्हें बचानें आई हैं। लेकिन टरिज्म से राजनीति नहीं होती है। वह पार्टी के एक कार्यक्रम में लखनउ आईं। उसके बाद महीने भर गायब रहीं। फिर अचानक सामने आईं। हम उनका राजनीति में स्वागत करते हैं। लेकिन जनता स्वागत नहीं कर रही है। उस दिन अयोध्या गई थीं। मैंने टीवी पर देखा था। जिस चौक पर वह आने वाली थी उस चौक पर 100-200 लोग भी नहीं दिख रहे थे। उसको देखकर लगता है कि भाई-बहन दोनों ही फेल होते दिख रहे हैं। शायद जीजा ही आकर कुछ संभल पाएं।
प्रश्न : वाराणसी से प्रियंका गांधी को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार उतारने की भी बातचीत चल रही है?
उत्तर : बहुत ही स्वागत की बात है। मुझे लगता है कि पूरा गांधी परिवार ही इस चुनाव में बेनकाब हो जाएगा। अमेठी से राहुल गांधी जी हारेंगे और बनारस से प्रियंका जी हारेंगी। इससे अच्छा हमारे लिए और क्या हो सकता है?
प्रश्न : तो प्रियंका के प्रचार का कांग्रेस को कोई फायदा आपको नहीं दिखता. उलटा भाजपा को इसका फायदा हुआ है क्या?
उत्तर : हमारा फायदा ही फायदा है.
प्रश्न: बिहार में आपके मंत्री गिरीराज सिंह बेगूसराय से लड़ने से डर रहे हैं। दूसरी ओर, आपने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के सामने उतार दिया है।
उत्तर: गिरीराज डरे नहीं है। वह पूरी ताकत से लड़ रहे हैं। चुनाव के दौरान सीट बदलने से कुछ नाराजगी होती है। हालांकि इसे दूर कर दिया गया है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को तो पिछले चुनाव में ही पटनासाहिब से टिकट दिया जा रहा था। लेकिन अंत समय में शत्रुघ्न सिन्हा उम्मीदवार बनाए गए। लेकिन यहां मैं यह कहना चाहता हुं कि बिहार में सबसे बड़ी जीत जो होगी उसमें एक पटनासाहिब होगी। जहां रविशंकर प्रसाद रिकार्ड मतों से जीतेंगे।
प्रश्न: राज ठाकरे की सभाओं में भीड़ को लेकर क्या कहेंगे। क्या उनके साथ किसी तरह के गठबंधन की बात हुई थी। वह कांग्रेस—एनसीपी को मदद कर रहे हैं क्या।
उत्तर: उनसे गठबंधन को लेकर कोई बात कभी नहीं हुई। ऐसा कोई विषय सामने नहीं आया। जहां तक उनकी सभा की बात है तो उसका कोई असर हमारे उपर नहीं है। वह कांग्रेस—एनसीपी के स्टार कैंपेनर तो नहीं है। ऐसे में परोक्ष—सेरोगेटेड प्रचार के लिए उनकी सभाओं का खर्च कांग्रेस—एनसीपी के खाते में जुड़ना चाहिए।
प्रश्न: वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बारामती में सभा की थीं। लेकिन सुना है इस बार वह वहां नहीं जाएंगे।
उत्तर: प्रधानमंत्री 150 से अधिक सभा संबोधित कर रहे हैं। बारामती में उनकी रैली को लेकर मुझे जानकारी नहीं है। रैली का आयोजन कई बिंदुओं को ध्यान में रखकर किया जाता है। संभव है कि उसके किसी नजदीकी संसदीय क्षेत्र में रैली हो, जिसकी वजह से वहां पर इस बार रैली का आयोजन नहीं हो।
प्रश्न: आप शरद पवार को कैसे देखते हैं। वह वक्त पर मित्रता निभाते हैं। जैसा गुजरात विधानसभा के समय देखा गया था। क्या वक्त आने पर उनसे सरकार बनाने के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष मदद भाजपा लेगी।
उत्तर : राजनीति में तो हमारे सभी मित्र हैं। कभी राजनीतिक प्रतिद्धंदिता या स्पर्धा मे हम किसी को व्यक्तिगत रुप से दुश्मनी की भावना से कभी नहीं देखते हैं। हालांकि एनसीपी से मदद के मसले पर मेरा आकलन यह है कि ऐसा सवाल ही नहीं उठता है।
प्रश्न : दक्षिण की बात करें आप खुद तमिलनाडु के प्रभारी हैं। वहां भाजपा के प्रदर्शन को कैसे देखते हैं। पिछली बार मोदी लहर के बाद भी वहां पर भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी।
उत्तर: जैसा कि मैंने बताया कि इस बार हमारा गठबंधन शायद तमिलनाडु के इतिहास में सबसे बड़ा गठबंधन है। हमारे गठबंधन में 13 दल हैं। एआईडीएमके भी भाजपा भी, विजयकांत, डॉ रामदोस, डॉ कृष्णा स्वामी हैं। ओर भी पार्टिया है. एक समय लगता था कि डीएमके— कांग्रेस वहां छाई हुई है। लेकिन इस बार उसका उलटा हो गया है। वहां भाजपा और गठबंधन है। जबकि पिछली बार हम एआईएमडीके और डीएमके के खिलाफ लड़े थे। उसके बाद भी हमारे दो सहयोगी जीते थे। यहां हमारा गठबंधन सबसे अधिक सीट लाएगा।
प्रश्न : रजनीकांत को पार्टी में लाने के लिए काफी प्रयास हुए, प्रधानमंत्री के स्तर पर भी प्रयास हुए। लेकिन वह नहीं आए। क्या वजह रही।
उत्तर : नहीं-नहीं। कभी भी प्रयास नहीं हुए। रजनीकांत जी ने स्पष्ट कह दिया था कि लोकसभा चुनाव में वो मैदान मेंं नहीं उतरेगें। विधानसभा चुनाव में वह चुनाव लड़ने या उतरने की सोचेंगे।
प्रश्न : मतलब फ्यूचर एलायंस?
उत्तर : पता नहीं अभी। वो देखेंगे। अभी उसमें समय है।