एक्सक्लूसिव: विदेश मंत्री पहुंचे दूरसंचार मंत्रालय, 5जी में चीन की कंपनियोंं के प्रभाव पर मंथन
By संतोष ठाकुर | Published: June 20, 2019 07:10 AM2019-06-20T07:10:00+5:302019-06-20T07:10:00+5:30
चीन की हुआवेई और अन्य कंपनियों के 5जी तकनीक में प्रवेश और उससे देश की सुरक्षा पर होनेवाले असर को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दूरसंचार मंत्रालय पहुंचकर दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ चर्चा की. उन्होंने 5जी तकनीक पर प्रस्तुतिकरण देखा और उससे संबंधित मसलों पर अधिकारियों से भी जानकारी हासिल की.
विदेश मंत्री के दूरसंचार मंत्रालय जाने का यह चुनिंदा मामला होगा. आमतौर पर विदेश मंत्री को प्रोटोकॉल में दूरसंचार मंत्री से ऊपर माना जाता है. लेकिन, दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद क्योंकि पार्टी के वरिष्ठतम मंत्री में शामिल हैं और जयशंकर क्योंकि पूर्व में भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके हैं, इसलिए प्रोटोकॉल में यह पाया गया कि प्रसाद उनसे राजनीति में वरिष्ठ हैं और ऐसे में विदेश मंत्री के उनके कार्यालय जाकर प्रस्तुतिकरण देखने में कुछ गलत नहीं है.
इससे पहले इस मसले पर वित्त मंत्रालय में भी उच्चस्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में भी 5जी तकनीक में चीन की कंपनियों हुआवेई और अन्य को बाहर रखने के वित्तीय और वाणिज्य असर पर चर्चा की गई. अमेरिका ने चीन की हुआवेई पर 5जी तकनीक से संबंधित कार्य से बाहर कर दिया है. कई यूरोपीय देशों ने भी ऐसा ही किया है. ऐसे में सुरक्षा को लेकर भारत भी सतर्क है.
कहा जाता है कि चीन की कंपनियोंं के उपकरण से देश की सूचनाएं चीन भेजी जा सकती है. हालांकि हुआवेई और अन्य चीनी कंपनियां इसे भ्रामक करार देती रही है. लेकिन, सरकार कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहती है. यही वजह है कि उसने इस मामले पर हर स्तर पर चर्चा कर निर्णय करने का फैसला किया है. इसलिए अहम है 5जी तकनीक पर बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले हफ्ते जी-20 बैठक में हिस्सा लेने के लिए जापान जाना है.
वहां चीन के राष्ट्रपति से उनकी मुलाकात होगी. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि उनकी ओर से चीन की कंपनियोंं को भारत में 5जी तकनीक परीक्षण में शामिल होने को लेकर चर्चा की जाएगी. यही वजह है कि पीएमओ चाहता है कि उससे पहले उसके पास सभी वास्तविक और सटीक सूचनाएं उपलब्ध हों. ऐसे में यदि चीन की कंपनियां 5जी तकनीक से अलग हो जाती हैं तो वह अरबों रुपए के कारोबार से वंचित हो जाएगी. जिसकी वजह से चीन सरकार की ओर से यह मामला उठाया जाना निश्चित है.