पूर्व लोक सेवकों के समूह ने असंतोष को ‘कुचलने’ के आरोप पर उप्र सरकार का बचाव किया

By भाषा | Published: July 19, 2021 07:35 PM2021-07-19T19:35:55+5:302021-07-19T19:35:55+5:30

Ex-public servants' group defends UP government on allegations of 'crushing' dissent | पूर्व लोक सेवकों के समूह ने असंतोष को ‘कुचलने’ के आरोप पर उप्र सरकार का बचाव किया

पूर्व लोक सेवकों के समूह ने असंतोष को ‘कुचलने’ के आरोप पर उप्र सरकार का बचाव किया

नयी दिल्ली, 19 जुलाई पूर्व न्यायाधीशों, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों सहित नागरिकों के एक समूह ने उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार पर लोकतांत्रिक प्रदर्शनों को दबाकर असंतोष को ‘कुचलने’ का आरोप लगाने वालों की सोमवार को आलोचना की और कहा कि उनके बयान “गैर जिम्मेदार और पूरी तरह से गलत" हैं।

समूह ने आरोप लगाया कि यह चिंता का विषय है कि सेवानिवृत्त लोक सेवकों का एक समूह गैर-राजनीतिक होने का दावा करने के बावजूद ‘‘एक विशेष राजनीतिक धारा" से जुड़ा हुआ है और वे भारतीय लोकतंत्र, इसकी संस्थाओं और वैध रूप से उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों को खराब रोशनी में दिखाने के लिए हर मौके का बार-बार लाभ उठाता है और ऐसा करने के लिए वे बिना सोचे समझे सार्वजनिक बयान देते हैं या विभिन्न प्राधिकारियों को गलत संदेश लिखते हैं।

बयान पर 151 लोगों के हस्ताक्षर हैं जिनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव योगेंद्र नारायण, सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली और सीबीआई के पूर्व निदेशक नागेश्वर राव के अलावा कई सेवानिवृत्त आईएफएस और सैन्य अधिकारी शामिल हैं।

इस समूह का यह बयान पूर्व लोक सेवकों, आईपीएस अधिकारियों और अन्य लोगों के एक अन्य समूह के बयानों का स्पष्ट खंडन है, जो अक्सर असंतोष को दबाने और आलोचकों को निशाना बनाने के लिए राज्य के साधनों का उपयोग करने के लिए आदित्यनाथ सरकार की आलोचना करते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार का समर्थन करने वाले समूह ने आंकड़ों के हवाले से कहा कि 20 मार्च 2017 से 11 जुलाई, 2021 के बीच, राज्य में पुलिस के साथ कुल 8,367 मुठभेड़े हुई, जिनमें 18,025 कथित अपराधी घायल हुए। उन्होंने कहा कि उनमें से 3246 को गिरफ्तार किया गया जबकि 140 की मौत हो गई।

मुठभेड़ों में मारे गए कथित अपराधियों में से 115 के सिर पर इनाम था, जिनमें से 21 के सिर पर 50,000 रुपये से अधिक का इनाम था और उनमें से नौ के सिर पर डेढ़ लाख रुपये का इनाम था।

इस आरोप का विरोध करते हुए कि मुठभेड़ों में मारे गए लोगों में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय से थे, उन्होंने कहा कि 140 में से 51 अल्पसंख्यक समुदाय के थे। उन्होंने दावा किया कि इन मुठभेड़ों में 13 पुलिसकर्मी भी मारे गए हैं, और 1,140 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

उन्होंने कहा, “मजिस्ट्रियल जांच से लेकर एनएचआरसी और उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित पीयूसीएल दिशा-निर्देश के रूप में निगरानी तंत्र काम कर रहा है। 11 जुलाई तक पुलिस के साथ हुई 140 मुठभेड़ों में से जिनमें मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए थे, उनमें से 96 मुठभेड़ों के मामले में जांच रिपोर्ट जमा कर दी गई है और 81 रिपोर्टों को अदालतों ने स्वीकार कर लिया है।”

उन्होंने दावा किया, “ संविधान की रक्षा की आड़ में उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ उनके आलोचनात्मक आरोपों वाले हालिया बयान गैर-जिम्मेदार और पूरी तरह से गलत है ... राजनीतिक एजेंडा समूह ने झूठे आरोप लगाने के दौरान तथ्यों को बहुत गलत तरीके से लिया है और उनका विश्लेषण अनुचित था।

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Web Title: Ex-public servants' group defends UP government on allegations of 'crushing' dissent

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