माताजी के अंतिम क्षणों में भी लोकतंत्र को चुना नीलू ने, अद्भुत उदाहरण पेश किया

By मुकेश मिश्रा | Updated: November 25, 2025 16:46 IST2025-11-25T16:46:41+5:302025-11-25T16:46:56+5:30

अस्पताल में भर्ती माताजी की देखरेख और चुनावी कर्तव्यों का निर्वहन दोनों ही अत्यंत चुनौतीपूर्ण थे, पर नीलू ने कभी अपने फर्ज को टालने का विचार नहीं किया।

Even in her mother's final moments, Neelu chose democracy, setting a remarkable example | माताजी के अंतिम क्षणों में भी लोकतंत्र को चुना नीलू ने, अद्भुत उदाहरण पेश किया

माताजी के अंतिम क्षणों में भी लोकतंत्र को चुना नीलू ने, अद्भुत उदाहरण पेश किया

इंदौर: इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 में बूथ लेवल अधिकारी (BLO) के रूप में तैनात कुमारी नीलू गौड़ ने लोकतंत्र के महापर्व में वफादारी और कर्तव्यपरायणता का एक अद्भुत उदाहरण पेश किया है। नीलू, जो राष्ट्रीय सॉफ्टबॉल खिलाड़ी और विक्रम अवार्ड विजेता हैं, उस समय गहरे मानसिक और भावनात्मक संकट से गुजर रही थीं, जब उनकी माताजी कैंसर की अंतिम अवस्था में इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती थीं। अस्पताल में भर्ती माताजी की देखरेख और चुनावी कर्तव्यों का निर्वहन दोनों ही अत्यंत चुनौतीपूर्ण थे, पर नीलू ने कभी अपने फर्ज को टालने का विचार नहीं किया। वे दिन भर सुबह से रात 9-10 बजे तक लगातार घर-घर जाकर मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के तहत फॉर्म बांटना, भरवाना, कलेक्ट करना और डिजिटाइजेशन कार्य को पूरी निष्ठा और समर्पण से अंजाम देती रहीं। 

डॉक्टरों ने पहले ही उन्हें सूचित कर दिया था कि माताजी की स्थिति गंभीर है और किसी भी समय वह दुनिया छोड़ सकती हैं, पर नीलू ने इस भावनात्मक पीड़ा को कर्तव्य मार्ग में बाधा नहीं बनने दिया। 22 नवंबर को माताजी का निधन हो गया। तब भी नीलू ने सुबह 6 बजे अधिकारियों को सूचित करते हुए कहा कि पार्थिव शरीर अस्पताल से लाने में समय लगेगा, तब तक वे मतदाता फॉर्म कलेक्शन का कार्य पूरी लगन से करती रहेंगी।नीलू गौड़ की यह प्रतिबद्धता और त्याग लोकतंत्र के प्रति उनका गहरा सम्मान दर्शाता है। लोकतंत्र का महापर्व—चुनाव तभी सफल होता है जब हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य को पूरी ईमानदारी से निभाए। 

ऐसे समय में जब व्यक्तिगत दुख शिखर पर होता है, नीलू का कार्य लोकतंत्र की ताकत है कि यहां हर एक वोट की गहरी अहमियत होती है, जो हमारे भविष्य के निर्णयों को आकार देता है। नीलू ने न केवल 540 से अधिक मतदाताओं के घर जाकर चुनावी फॉर्म वितरित किए, बल्कि लगभग 125 फॉर्म कलेक्ट कर डिजिटाइज कर भी लोकतंत्र के महापर्व को सफल बनाने में अपनी अटूट भूमिका निभाई। उनका समर्पण न केवल सरकारी कर्मचारियों और खिलाड़ियों के लिए बल्कि हर नागरिक के लिए प्रेरणा है कि वोट देना मात्र एक अधिकार नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए कर्तव्य है।

Web Title: Even in her mother's final moments, Neelu chose democracy, setting a remarkable example

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