चुनावी चंदे को लेकर ADR की याचिका पर SC ने सभी राजनीतिक दलों को दिया ये आदेश

By विकास कुमार | Published: April 12, 2019 03:16 PM2019-04-12T15:16:06+5:302019-04-12T18:08:53+5:30

जनवरी 2018 में अरुण जेटली ने कहा था कि इलेक्टोरल बांड के कारण चुनावी चंदे में पारदर्शिता आएगी और राजनीतिक पार्टियां साफ-सुथरे तरीके से चंदा प्राप्त करेंगी. लेकिन हाल ही में आये चुनाव आयोग के बयान ने तमाम राजनीतिक पार्टियों को आईना दिखाने का काम किया.

electoral bond is a joint venture of congress and bjp, rahul gandhi and narendra modi | चुनावी चंदे को लेकर ADR की याचिका पर SC ने सभी राजनीतिक दलों को दिया ये आदेश

चुनावी चंदे को लेकर ADR की याचिका पर SC ने सभी राजनीतिक दलों को दिया ये आदेश

Highlights2017-18 में राजनीतिक पार्टियों को मिले कूल चंदे का 92 प्रतिशत बीजेपी को मिला. यूपीए सरकार ने इलेक्टोरल ट्रस्ट बनाने की सुविधा दी.एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को 31 मई तक अपने चुनावी चंदे का हिसाब-किताब बंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश दिया है. 15 मई तक राजनीतिक दलों को जितना भी चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये मिलेगी उसका लेखा-जोखा चुनाव आयोग को देना होगा. 

चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें राजनीतिक दलों को राजनीतिक चंदा का हिसाब देने के लिए उन्हें जिम्मेवार बनाना था. मुख्य न्यायधीश रंजन गगोई की बेंच ने इस मामले पर यह फैसला सुनाया है. 

जनवरी 2018 में अरुण जेटली ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड के कारण चुनावी चंदे में पारदर्शिता आएगी. और राजनीतिक पार्टियां साफ-सुथरे तरीके से चंदा प्राप्त करेंगी. लेकिन हाल ही में आये चुनाव आयोग के बयान ने तमाम राजनीतिक पार्टियों को आईना दिखाने का काम किया. चुनाव आयोग ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड ने चुनावी चंदे की पारदर्शिता को ध्वस्त करने का काम किया है. 

कांग्रेस और बीजेपी की साझी विरासत 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 में राजनीतिक पार्टियों को मिले कूल चंदे का 92 प्रतिशत बीजेपी को मिला. भारतीय राजनीति में यह ट्रेंड है कि सत्ताधारी पार्टी को कॉर्पोरेट चंदा ज्यादा मिलता है लेकिन इस मामले में एक अपवाद 2008-09 के दौरान देखने को मिला जब कांग्रेस से ज्यादा चंदा बीजेपी को मिला. ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि यूपीए शासनकाल के अंतिम वर्षों में तमाम घपले-घोटाले सामने आने के बाद बीजेपी के सत्ता में वापसी की चर्चा शुरू हो गई थी. 

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी को 2017-18 में 437.04 करोड़ का चुनावी चंदा मिला जो 2 हजार 977 लोगों से मिला. वहीं कांग्रेस को 26 करोड़ 65 लाख का चंदा मिला जो 777 श्रोतों से पार्टी को प्राप्त हुई.

एनडीए की पहली सरकार ने कॉर्पोरेट से मिलने वाले चुनावी चंदे पर उन्हें टैक्स में छूट लेने की इजाजत दी थी. उसके बाद यूपीए सरकार ने इलेक्टोरल ट्रस्ट बनाने की सुविधा दी. मोदी सरकार में हुए नोटबंदी के बाद राजनीतिक दलों का चंदा बहाल रहा. उन्हें ये सुविधा दी गई कि आप 500 और 1000 के पुराने नोट को चंदे के रूप में लेकर बैंक में एक्सचेंज करा सकते हैं. 

मोदी सरकार ने वित्त विधेयक 2017 में चुनावी चंदे के कानून को पलट दिया. इससे पहले कोई भी कॉर्पोरेट अपने कंपनी के तीन साल के शुद्ध मुनाफे का 7.5 फीसदी ही चुनावी चंदे के रूप में दे सकती थी. 

 

English summary :
The Supreme Court has ordered all the political parties of the country to hand over their election funds to the Election Commission by May 31 in the closed envelope. As far as May 15, the EC will have to give account to the Election Commission of whatever political parties will get through Electoral bonds.


Web Title: electoral bond is a joint venture of congress and bjp, rahul gandhi and narendra modi