Economic Survey 2020: आर्थिक समीक्षा पेश, अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6-6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 31, 2020 01:17 PM2020-01-31T13:17:47+5:302020-01-31T16:26:17+5:30
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं वित्त मंत्री ने संसद में आर्थिक समीक्षा पेश कर दिया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा पेश कर दिया है। आर्थिक समीक्षा 2019-20 के मुताबाकि अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6-6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान हैं। निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को संसद में बजट पेश करेंगी। लोकसभा की कार्यवाही कल (शनिवार) सुबह तक स्थगित कर दी गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश 2019-20 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि विनिर्माण गतिविधियों और वैश्विक व्यापार के नरमी से बहार आने के संभावित संकेत हैं। इसका अगले वित्त वर्ष में वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसमें कहा गया है कि सरकार का सस्ता मकान, मेक इन इंडिया, कंपनी कर में कटौती और कारोबार सुगमता में सुधार जैसे कदमों के अलावा अन्य कारकों से आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने में मदद मिलेगी। हालांकि समीक्षा में आगाह करते हुए कहा गया है कि वैश्विक व्यापार में निरंतर समस्या, अमेरिका-ईरान के बीच भू-राजनीतिक तनाव और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर आर्थिक पुनरूद्धार जैसे कुछ जोखिम हैं जिससे वृद्धि नीचे जा सकती है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘‘शुद्ध रूप से ऐसा लगता है कि मजबूत जानदेश वाली सरकार के पास सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने की क्षमता को देखते हुए वृद्धि के ऊपर जाने की संभावना है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि में तेजी आनी चाहिए। इसका एक कारण 2019-20 में 5 प्रतिशत वृद्धि का तुलनात्मक आधार कमजोर होना है।’’ समीक्षा के अनुसार जोखिमों को देखते हुए देश की जीडीपी वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में 6 से 6.5 प्रतिशत रह सकती है।’’
चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि के अनुमान के बारे में कहा गया है कि 5 प्रतिशत वृद्धि दूसरी छमाही में तेजी आने का संकेत देती है। समीक्षा के अनुसार जीडीपी वृद्धि में कमी को वृद्धि के धीमे चक्र की रूपरेखा से समझा जा सकता है। वित्तीय क्षेत्र का इस पर प्रभाव पड़ा है। इसमें कहा गया है कि 2019-20 की दूसरी छमाही में तेजी में 10 क्षेत्रों का प्रमुख योगदान रहा है। ये प्रमुख क्षेत्र इस साल पहली बार निफ्टी इंडिया कंजप्शन इंडेक्स में तेजी, शेयर बाजार में मजबूती, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में बेहतर होना, वस्तुओं की मांग बढ़ना, ग्रामीण क्षेत्रों में खपत का अनुकूल माहौल, औद्योगिक गतिविधियों में फिर से तेजी आना, विनिर्माण में निरंतर सुधार होना, वाणिज्यिक या वस्तुओं का निर्यात बढ़ना, विदेशी मुद्रा भंडार में और अधिक वृद्धि होना और जीएसटी राजस्व के संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि शामिल हैं।
समीक्षा में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय से विलय वाली इकाइयां मजबूत होंगी, जोखिम कम होगा और परिणामस्वरूप ब्याज दर में कमी आएगी। इसके अनुसार जीएसटी क्रियान्वयन में बाधाओं में के दूर होने, घरेलू बाजार एकीकरण से व्यापार लागत कम होगी और नया निवेश का रास्ता बनेगा। पुन: भूमि और श्रम बाजार में सुधारों से व्यापार लागत कम होगी।