बिहार के बाद यूपी में एसआईआर मुद्दा?, सपा में छेड़ा मतदाता सूची मुहिम, मांगी 2003 की वोटर सूची
By राजेंद्र कुमार | Updated: September 17, 2025 18:24 IST2025-09-17T18:23:15+5:302025-09-17T18:24:16+5:30
समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव ने एसआईआर शुरू किए जाने के पहले ही वर्ष 2003 की मतदाता सूची उपलब्ध कराने की मांग आयोग से की है.

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लखनऊः बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है. अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव और वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट और त्रुटिरहित करने के लिए जल्दी ही अभियान चलाया जाएगा. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने इस संबंध में तैयारी शुरू की हैं. वही दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव ने एसआईआर शुरू किए जाने के पहले ही वर्ष 2003 की मतदाता सूची उपलब्ध कराने की मांग आयोग से की है.
इस संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सपा की तरफ से एक ज्ञापन दिया गया है. इसमें कहा गया है कि यह सूचना निशुल्क मिलने पर मतदाता सूची को दुरुस्त कराने में बीएलओ को पूर्ण सहयोग दिया जा सकेगा. सपा की इस मांग से अब यूपी में भी मतदाता सूची का मुद्दा गरमाने की संभावना बन गई है.
22 साल बाद शुरू होगी एसआईआर की प्रक्रिया
इसकी कई वजहें हैं. उत्तर प्रदेश में आखिरी बार वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण वर्ष 2003 में हुआ था. अब करीब 22 साल बाद यह प्रक्रिया फिर से शुरू होने जा रही है. इस दौरान 2003 की मतदाता सूची और वर्तमान मतदाता सूची का मिलान किया जाएगा. जिन मतदाताओं के नाम दोनों सूचियों में दर्ज हैं, उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी.
हालांकि, जिनके नाम बाद में जोड़े गए हैं, उन्हें आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे. विशेष रूप से जिन बच्चों के नाम अभिभावकों के बाद जोड़े गए हैं, उन्हें एसआईआर के दायरे में लाया जाएगा. जिन मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे, उनके अभिलेख भी सुरक्षित रखे जाएंगे. ताकि आगे किसी विवाद की स्थिति में प्रमाण उपलब्ध कराने के लिए यह व्यवस्था रहेगी. यह मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा का कहना है. जबकि सपा नेताओं का कहना है कि वर्ष 2003 के बाद कई बार पोलिंग स्टेशनों का विभाजन एवं पुनर्गठन हुआ है.
इस कारण से बड़ी संख्या में मतदाताओं के बूथ व मतदान केंद्र बदल दिए गए हैं, जिन्हें चिह्नित करना बहुत जरूरी है. इसलिए सपा ने आयोग से मतदाता सूची मांगी है. इसी मुद्दे को लेकर सूबे की राजनीति में मतदाता सूची के मुद्दे पर सियासत गर्माने का दावा किया जा रहा है.
इसलिए मांगी मतदाता सूची
सपा के सचिव केके श्रीवास्तव का कहना है कि प्रदेश में 403 विधान क्षेत्रों के करीब 1 लाख 90 हजार पोलिंग स्टेशनों के करीब 15 करोड़ 42 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं. विशेष पुनरीक्षण के दौरान मतदाता सूची को शून्य (जीरो) करके बीएलओ घर-घर जाकर एक-एक मतदाता का सत्यापन करेंगे और गणना प्रपत्र फार्म भरेंगे.
मतदाता सूची को शुद्ध और दुरुस्त बनाने के लिए बीएलओ के साथ राजनीतिक दलों के बीएलए (बूथ लेवल एजेंट सहयोग करेंगे. सत्यापन में मृतक, स्थाई रूप से जगह बदलने वाले, बहुस्थानीय प्रविष्टियों और लापता आदि मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काटे जाएंगे.
आयोग के इस कार्य में सहयोग करने के लिए ही वर्ष 2003 की मतदाता सूची उपलब्ध कराने की मांग गई है ताकि एक मकान में 50 से अधिक मतदाताओं के नाम से बने मतदाता पहचान पत्रों को चिन्हित किया जा सके. फिलहाल आयोग ने हमारे ज्ञापन पर अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया है.
अगर पार्टी को सूची नहीं मिली तो सपा में मतदाता सूची का मुद्दा गांव-गांव में उठाएगी. हालांकि यह कार्य अभी से सपा नेताओं ने शुरू कर दिया है. अभी वह बिहार में हुई एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग की सख्ती का मसला उठा रहे हैं. अब जल्दी ही इस मामले में यूपी में होने वाली एसआईआर को जिक्र भी सपा नेता जनता के बीच उठाएंगे.