21 सालों का इतिहास: 13 सितंबर को मिली इस उपलब्धि के बाद 2019 लोकसभा चुनाव नहीं हारेगी BJP?
By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 14, 2018 09:15 AM2018-09-14T09:15:19+5:302018-09-14T09:17:19+5:30
दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की सभी चार सीटों पर अखिल भारती विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। उसके ठीक बाद 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस में अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता में आए।
नई दिल्ली, 14 सितंबरः दिल्ली विश्वविद्यायल स्टूडेंट यूनियन (डूसू) चुनाव परिणाम आ गए हैं। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने चार में से तीन पदों पर जीत हासिल की। जबकि कांग्रेस की छात्र विंग नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली।
डूसू चुनाव में अध्यक्ष पद पर एबीवीपी उम्मीदवार अंकित बसोया, उपाध्यक्ष पद पर शक्ति सिंह, संयुक्त सचिव पद पर ज्योति चौधरी ने जीत दर्ज की। एनएसयूआई के खाते में महज सचिव पद के प्रत्याशी आकाश चौधरी की जीत ही रही। इसके अलावा एक गठबंधन में लड़े लेफ्ट और आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई को डूसू चुनाव से खाली हाथ लौटना पड़ा।
इस जीत को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ऐतिहासिक करार दिया। चुनाव परिणाम की घोषणा के तुरंत बाद शाह ने ट्वीट किया, ‘‘डूसू चुनाव में मिली इस बड़ी जीत पर एबीवीपी के सभी कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई। यह न केवल राष्ट्रवादी विचारधारा में युवाओं के विश्वास की जीत है बल्कि इसका जनादेश विभाजनकारी और अवसरवादी राजनीति के खिलाफ है।’’
डूसू चुनाव में जीत के बाद से ही सोशल मीडिया में एक तथ्य वायरल होने लगा। यह तथ्य है-
1997- दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की सभी चार सीटों पर अखिल भारती विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। उसके ठीक बाद 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस में अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता में आए।
1998- इस साल हुए चुनाव में एबीवीपी प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी पद पर जीत दर्ज की और एनएसयूआई ने वास प्रेसिडेंट और ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर। अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी एकबार फिर सत्ता पर काबिज हुई।
2003- एनएसयूआई ने इस साल छात्रसंघ की सभी चारों सीटों पर जीत दर्ज की। 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजे तो आपको पता हैं। यूपीए ने वाजपेयी सरकार को हरा दिया और प्रधानमंत्री चुने गए मनमोहन सिंह।
2008- इस साल यद्यपि एबीवीपी ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की लेकिन उसे अन्य सभी पदों पर एनएसयूआई के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसका असर 2009 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला। 2009 में मनमोहन सरकार एकबार फिर सत्ता में वापस आई।
2013- इस साल दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने एनएसयूआई से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया और शीर्ष तीन सीटों पर जीत दर्ज की। एबीवीपी ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर विजय प्राप्त की। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड दर्ज करते हुए 282 सीटों पर जीत दर्ज की। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए को कुल 325 सीटों पर विजय प्राप्त हुई।
बीते 21 सालों के आंकड़े यह कहते हैं कि डूसू चुनावों में जब-जब एबीवीपी ने विजय पताका लहराई है, तब-तब लोकसभा चुनावों में बीजेपी विजय रथ पर सवार हुई है। इसलिए सोशल मीडिया में ऐसा वायरल हो रहा है कि अब आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की ही सरकार बनेगी। ऐसा कहते हैं कि डीयू देश का मूड भांपने के लिए सबसे उचित जगह है। डीयू का जो महौल होता है, वही देश का महौल होता है।
हालांकि डूसू चुनाव की मतगणना को लेकर एनएसयूआई ने सवाल उठाए। मतगणना के दौरान चार ईवीएम मशीनों के खराब होने के बाद मतगणना केंद्र पर तोड़-फोड़ शुरू हो गई। इसके बाद मतगणना स्थगित करनी पड़ी। बाद में सुरक्षा बलों की मौजूदगी दोबारा मतगणना शुरू हुई। ईवीएम को लेकर उठ रहे सवालों पर आखिरकार चुनाव आयोग को बयान जारी करना पड़ा। चुनाव आयोग ने कहा डूसू चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम को आयोग ने जारी नहीं किया है।