महामारी के दौरान जंग जैसे हालात की वजह से सभी डॉक्टरों को एक श्रेणी में रखा गया, उचित फैसला: अदालत
By भाषा | Published: June 2, 2021 08:46 PM2021-06-02T20:46:35+5:302021-06-02T20:46:35+5:30
नयी दिल्ली, दो जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने अलग-अलग वरिष्ठता और विभागों वाले डॉक्टरों को कोविड प्रबंधन की जिम्मेदारियों के लिए एक श्रेणी में डालने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया तथा याचिकाकर्ता पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
अदालत ने कहा कि उस समय ‘जंग जैसे हालात’ होने पर यह कदम उठाया गया था।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा 16 मई को जारी अधिसूचना ‘अस्थायी प्रकृति’ की है और कोविड-19 महामारी के कारण शहर में बने गंभीर हालात को देखते हुए विशुद्ध रूप से जनता की जरूरत के आधार पर जारी की गयी थी।
पीठ ने कहा कि उस समय सभी शिक्षक और गैर-शिक्षक चिकित्सकों के साथ ही मेडिकल छात्रों को भी कोविड ड्यूटी पर लगाया गया था और इसलिए 16 मई का आदेश पूरी तरह उचित एवं निष्पक्ष था।
उसने कहा कि दिल्ली सरकार के पास शहर में गंभीर स्थिति होने पर 16 मई जैसा आदेश जारी करने का पूरी तरह अधिकार है।
हालांकि याचिकाकर्ता की वकील पायल बहल ने कहा कि उनके मुवक्किल कोविड ड्यूटी से किसी तरह की छूट नहीं मांग रहे।
दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि 16 मई का आदेश या अधिसूचना किसी के वरिष्ठता क्रम को प्रभावित नहीं करता और केवल कोविड-19 की ड्यूटियों के लिहाज से मानव श्रम के बेहतर प्रबंधन के लिए जारी किया गया था।
याचिकाकर्ता ने इस आधार पर आदेश को चुनौती दी थी कि उप राज्यपाल की सहमति के बिना इसे जारी किया गया जो कि 27 अप्रैल से प्रभाव में आए जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम के तहत जरूरी है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।