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कोरोना महामारी के कारण बकरीद में मवेशी पालकों, किसानों समेत हजारों को होगा नुकसान

By भाषा | Updated: July 17, 2020 16:54 IST

कोरोना वायरस महामारी के बीच बकरीद का त्योहार महाराष्ट्र में सादगी से मनाने की तैयारी चल रही है, जिसके कारण मवेशी पालने वालों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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ठळक मुद्देकोरोना वायरस महामारी के बीच बकरीद का त्योहार महाराष्ट्र में सादगी से मनाने की तैयारी हो रही है।लेकिन इसकी वजह से मवेशी पालकों और किसानों समेत हजारों लोगों को बड़ा आर्थिक नुकसान होने जा रहा है।

मुंबई: कोरोना वायरस महामारी के बीच बकरीद का त्योहार महाराष्ट्र में सादगी से मनाने की तैयारी हो रही है लेकिन इसकी वजह से मवेशी पालकों और किसानों समेत हजारों लोगों को बड़ा आर्थिक नुकसान होने जा रहा है क्योंकि इस दौरान ये लोग अच्छी कमाई कर पाते थे। एक अनुमान के अनुसार बकरीद के अवसर पर प्रत्येक साल देवनार बुचड़खाने में किसान, परिवाहक और कसाई जैसे करीब 5,000 लोग काम से जुड़े होते थे।

इस साल बुचड़खाना एक तरह से खाली है क्योंकि सिर्फ वैसे ही कसाई और कर्मियों को यहां आने की मंजूरी है जिनके पास नगर निकाय का लाइसेंस है। ये ही यहां पर रोजाना की गतिविधियों में शामिल होते दिखते हैं। बकरीद दो हफ्ते बाद है। कोविड-19 महामारी को देखते हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश और यहां तक कि महाराष्ट्र के भी अलग हिस्सों से मवेशियों की आमद बंद है।

गोवंडी के एक सामाजिक कार्यकर्ता जमीर कुरैशी ने बताया, ‘‘किसान, मवेशी विक्रेता समेत 5,000 लोग इस साल प्रभावित होने जा रहे हैं। नुकसान कम करने के लिए कुछ ने हाउसिंग सोसाइटी में जाकर बकरियां बेचना शुरू कर दिया, जो गैरकानूनी है।

’’ उन्होंने दावा किया कि प्रत्येक साल बृह्नमुंबई महानगरपालिका इस त्योहार के दौरान करोड़ों रुपये कमाती है लेकिन अब उसे भी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। इसी बीच देवनार बुचड़खाने के महाप्रबंधक डॉक्टर योगेश शेटये ने कहा, ‘‘ इस साल महामारी को देखते हुए मवेशियों की खरीद और बिक्री की अनुमति नहीं है और महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों से भी मवेशियों को नहीं लाया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि प्रत्येक साल 2.5 लाख से ज्यादा बकरियां और कम से कम 12,000 से 14,000 मवेशी इस त्योहार के दौरान बुचड़खाने लाए जाते थे।

उन्होंने कहा कि अब इस परिसर में बीएमसी का लाइसेंस रखने वाले कसाई ही जा सकते हैं और त्योहार के लिए कोई विशेष तैयारी भी नहीं हो रही है। मंगलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उत्सव सादे तरीके से हो और अगर संभव हो तो कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से ‘सांकेतिक’ तौर पर ही आयोजित हो।

ठाकरे ने एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘‘पिछले चार महीने से (कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन के बीच) हमने सभी धर्मों के त्योहारों को सीमित तरीके से ही मनाया है। इसी तरह से आने वाला बकरीद भी सादे और नियमों का पालन करते हुए, संभव हो तो, सिर्फ सांकेतिक तरीके से मनाया जाए।’’ उन्होंने कहा कि महामारी एक ‘बड़ी चुनौती’ है इसलिए लोग त्योहार के दौरान भीड़ लगाने से बचें। 

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