डीआरडीओ ने फार्मा कंपनियों को दी "2 डीजी" की तकनीकी, कई मरीजों तक पहुंच सकेगी दवा

By भाषा | Updated: October 1, 2021 22:14 IST2021-10-01T22:14:48+5:302021-10-01T22:14:48+5:30

DRDO gave technology of "2 DG" to pharma companies, medicine will be able to reach many patients | डीआरडीओ ने फार्मा कंपनियों को दी "2 डीजी" की तकनीकी, कई मरीजों तक पहुंच सकेगी दवा

डीआरडीओ ने फार्मा कंपनियों को दी "2 डीजी" की तकनीकी, कई मरीजों तक पहुंच सकेगी दवा

इंदौर (मध्य प्रदेश), एक अक्टूबर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के इलाज के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित दवा "2 डीजी" की निर्माण तकनीकी फार्मा कम्पनियों को अंतरित की गई है ताकि यह औषधि ज्यादा से ज्यादा मरीजों तक पहुंच सके।

उन्होंने इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "मैं आपको बताना चाहूंगा कि 2 डीजी को डीआरडीओ की ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला में विकसित किया गया है। हमने कोविड-19 की यह दवा बनाने की तकनीकी सात-आठ फार्मा कम्पनियों को अंतरित की है और भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने इन कम्पनियों को इसके उत्पादन की मंजूरी भी दे दी है।"

रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ की ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला ने कोविड-19 के खिलाफ जंग में अहम भूमिका निभाई है और महामारी के भारी प्रकोप के वक्त इसमें बेहद कम समय में सैनिटाइजर, मास्क और निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) भी विकसित किए गए हैं।

डीआरडीओ प्रमुख, रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के क्षेत्र में मध्य प्रदेश के उद्यमियों के लिए मौजूद संभावनाओं पर केंद्रित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम राज्य सरकार ने आयोजित किया था जिसमें छोटे उद्योगपतियों ने बड़ी तादाद में हिस्सा लिया।

रेड्डी ने कार्यक्रम में बताया कि डीआरडीओ द्वारा भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ मिलकर विकसित "एटैग्स" 155 एमएम श्रेणी में तोपखाने का सबसे ज्यादा दूरी तक मार करने वाली बंदूक है और दुनिया भर में इसकी यह मारक क्षमता केवल भारत के पास है। उन्होंने बताया कि "एटैग्स" का परीक्षण पूरा हो चुका है और आने वाले दिनों में इसे सैन्य बलों को सौंपा जाएगा।

रेड्डी ने जोर देकर कहा कि डीआरडीओ अलग-अलग सरकारी योजनाओं के जरिये कोशिश कर रहा है कि रक्षा उपकरणों के आयात पर न केवल भारत की निर्भरता कम हो, बल्कि देश से इनके निर्यात को भी बढ़ावा मिले।

उन्होंने कहा, "भारत में 1980 के दशक के दौरान एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में जब मिसाइल विकास कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब देश में इस परियोजना में मददगार औद्योगिक इकाइयों की तादाद केवल 50 के आस-पास रही होगी। लेकिन इन दिनों रक्षा उपकरणों के विनिर्माण में अलग-अलग श्रेणियों में करीब 12,000 घरेलू कारखाने मदद कर रहे हैं जिससे भारतीय सैन्य बलों को उन्नत उपकरण जल्द से जल्द सौंपे जा रहे हैं।"

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा के अनुरोध पर रेड्डी ने घोषणा की कि डीआरडीओ की ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला के जरिये राज्य के उन उद्यमियों की हरसंभव मदद की जाएगी जो रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के क्षेत्र में आने के इच्छुक हैं।

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