द्रौपदी मुर्मू के गांव में नहीं पहुंची है आज तक बिजली, NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद हरकत में आई ओडिशा सरकार
By विनीत कुमार | Published: June 26, 2022 12:36 PM2022-06-26T12:36:33+5:302022-06-26T14:55:40+5:30
एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के गांव में बिजली पहुंचाने की कवायद तेज हो गई है। इससे पहले उनके पैतृक गांव के लोग केरोसिन तेल की रोशनी में रहने को मजबूर थे।
बारीपदा (ओडिशा): राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू अपने नाम के ऐलान के बाद से ही चर्चा में हैं। हालांकि ये दुर्भाग्य है कि भले ही वे देश के सबसे बड़े पद पर पहुंचने के करीब हैं लेकिन उनका पैतृक गांव आज भी बिजल की रोशनी से दूर है। वैसे द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद ओडिशा सरकार हरकत में आई है और मयूरभंज जिले में स्थित उनके पैतृक गांव उपारबेड़ा के एक हिस्से में विद्युतीकरण का काम शुरू कर दिया गया है। .
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार हालाँकि मुर्मू अब इस गांव में नहीं रहती हैं। वह दशकों पहले उपारबेड़ा से करीब 20 किलोमीटर दूर कुसुम ब्लॉक के तहत आने वाले एक छोटे शहर रायरंगपुर में शिफ्ट हो गई है।
रिपोर्ट के अनुसार टाटा पावर नॉर्थ ओडिशा डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीएनओडीएल) के अधिकारी और कर्मचारी मिट्टी खोदने वाली मशीनों, बिजली के खंभों और ट्रांसफार्मर के साथ उपारबेड़ा गए ताकि उस हिस्से में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके जहां यह पहुंचना अभी बाकी है।
टीपीएनओडीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमने कंपनी के मयूरभंज खंड को विद्युतीकरण का काम पूरा करने और पूरे उपारबेड़ा गांव में 24 घंटे के भीतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया है।'
उपारबेड़ा गांव में रहते हैं 3500 लोग
करीब 3,500 की आबादी वाले उपरबेड़ा गांव में दो बस्तियां हैं। एक और जहां बडासाही हिस्सा पूरी तरह से विद्युतीकृत है, वहीं डूंगरसाही में 14 घर हैं जिन्हें अभी तक बिजली नहीं मिली है।
नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि डूंगरसाही का विद्युतीकरण नहीं किया गया था क्योंकि वहां मकान वन भूमि पर बने थे। अधिकारी ने कहा, 'ग्रामीणों को अंधेरे में रखने का हमारा कोई इरादा नहीं है, लेकिन कुछ आधिकारिक मंजूरी की कमी के कारण ऐसा हुआ है।'
मीडिया के द्रौपदी मुर्मू के गांव पहुंचने पर सामने आया सच
द्रौपदी मुर्मू के गांव में बिजली की कमी के कारण लोग अंधेरे में रहते हैं। यह तथ्य तब सामने आया जब राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में नामित होने के बाद हाल के दिनों में कई पत्रकार लोगों से बात करने के लिए उनके पैतृक गांव में पहुंचे।
मुर्मू के भतीजा बिरांची नारायण टुडू अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ डूंगरसाही में रहते है। बिरांची की पत्नी ने बताया, 'हमने कई लोगों से अनुरोध किया था कि वे हमारे डूंगरसाही गांव को बिजली मुहैया कराएं। हालांकि, किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।'
बिरांची की पत्नी ने कहा कि उन्होंने इस मामले को मुर्मू के संज्ञान में नहीं लाया है। हालांकि वह त्योहारों के दौरान गांव आती हैं। उपारबेड़ा गांव के एक अन्य निवासी चित्तरंजन बस्के ने कहा कि 2019 में चुनाव के समय स्थानीय विधायक और सांसद को मामले की जानकारी दी गई थी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि लोग केरोसिन तेल का इस्तेमाल गांव में करते हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मयूरभंज जिले में 500 गांव ऐसे हैं जहां ठीक तरह से सड़कें नहीं हैं। वहीं, 1350 गांवों में बिजली नहीं है।