सबूत की जगह नहीं ले सकता संदेह : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Published: February 21, 2021 05:47 PM2021-02-21T17:47:38+5:302021-02-21T17:47:38+5:30

Doubt cannot replace evidence: Supreme Court | सबूत की जगह नहीं ले सकता संदेह : उच्चतम न्यायालय

सबूत की जगह नहीं ले सकता संदेह : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 21 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि संदेह कभी सबूत की जगह नहीं ले सकता, चाहे यह कितना ही मजबूत क्यों न हो। इसने जोर देकर कहा कि यथोचित संदेह से परे दोषी साबित होने तक किसी भी आरोपी को निर्दोष माना जाता है।

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के एक निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि किसी भी आरोपी के खिलाफ सबूतों की कड़ी इतनी पूर्ण होनी चाहिए कि उसके खिलाफ आरोप को साबित किया जा सके।

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने बिजली का करंट देकर एक होमगार्ड की हत्या करने के दो आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।

पीठ ने कहा, ‘‘यह इस न्यायालय की न्यायिक घोषणा द्वारा अच्छी तरह स्थापित है कि संदेह, चाहे यह मजबूत ही क्यों न हो, सबूत की जगह नहीं ले सकता। यथोचित संदेह से परे दोषी साबित होने तक किसी भी आरोपी को निर्दोष माना जाता है।’’

गीतांजलि टाडू ने अपनी शिकायत में कहा था कि चंदाबली थाने में तैनात उनके पति बिजय कुमार टाडू को बानाबिहारी महापात्र और उसके बेटे लूजा तथा अन्य ने कुछ जहरीला पदार्थ खिलाकर और फिर बिजली का करंट देकर मार डाला।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि मौत बिजली के करंट से हुई, लेकिन इस बारे में कोई निष्कर्षात्मक सबूत नहीं है कि यह हत्या का मामला है।

पीठ ने कहा, ‘‘महज इस तथ्य से कि मृतक, आरोपी प्रतिवादी-1 के कमरे में पड़ा था और आरोपी प्रतिवादियों ने शिकायतकर्ता को सूचना दी कि मृतक (शिकायतकर्ता का पति) निस्तेज अवस्था में था तथा उसने आवाज लगाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, यह साबित नहीं हो जाता कि आरोपी प्रतिवादियों ने उसकी हत्या की थी।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि अभियोजन आरोपियों का दोष साबित करने में विफल रहा और अदालत ने आरोपियों को बरी कर सही फैसला किया।

इसने कहा कि पारिस्थितिजन्य साक्ष्य भी ऐसे होने चाहिए जिन्हें साबित किया जा सके और सबूतों की कड़ी ऐसी होनी चाहिए जिनमें संदेह की कोई गुंजाइश न हो।

पीठ ने कहा कि इस बात की काफी संभावना है कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता के पति को शराब पिलाई हो, जैसा कि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर का मानना है, सोते समय दुर्घटनावश बिजली के तार के संपर्क में आ गया हो।

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Web Title: Doubt cannot replace evidence: Supreme Court

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