पहले पाकिस्तान पर गिरी गाज और अब भारत बनेगा डोनाल्ड ट्रंप का 'कोपभाजन'!

By आदित्य द्विवेदी | Published: January 3, 2018 10:32 AM2018-01-03T10:32:59+5:302018-01-03T10:47:11+5:30

एच-1बी वीजा के लिए अमेरिका कठिन शर्तें रख सकता है। इससे भारत के सात लाख से ज्यादा प्रोफेशनल्स प्रभावित होंगे।

Donald Trump new rules on H-1B visa, 7.50 lakh Indian professionals may deport | पहले पाकिस्तान पर गिरी गाज और अब भारत बनेगा डोनाल्ड ट्रंप का 'कोपभाजन'!

पहले पाकिस्तान पर गिरी गाज और अब भारत बनेगा डोनाल्ड ट्रंप का 'कोपभाजन'!

Highlightsहर साल दिए जाने वाले कुल 85 हजार एच-1बी वीजा में से 60 फीसदी भारतीय कंपनियों को दिए जाते हैंएच-1 बी वीजा पर कड़े प्रावधानों से भारत के सात लाख से ज्यादा प्रोफेशनल्स प्रभावित होंगे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कड़े फैसलों का अगला शिकार भारत को होना पड़ सकता है। एच-1 बी वीजा के लिए अमेरिका में एक विधेयक प्रस्तावित है। आईटी संगठन नैसकॉम का मानना है कि इस विधेयक में कड़े प्रावधान किए गए हैं। अगर यह लागू कर दिया जाता है तो अमेरिकी नागरिकता की राह देख रहे भारत के सात लाख पचास हजार से ज्यादा प्रोफेशनल्स की वतन वापसी हो जाएगी। 

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाया और उसको मिलने वाली 33 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी। भारत इस फैसले को भले ही उसे अपनी कूटनीतिक जीत मान रहा है लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका के कोपभाजन का अगला शिकार भारत भी हो सकता है।

क्या है एच-1बी वीजा

एच-1बी अप्रवासियों को दिया जाने वाला वीजा है। यह अमेरिका में काम करने वाली कंपनियों को दिया जाता है ताकि वो ऐसे स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भर्ती कर सकें जिनकी अमेरिका में कमी है। इसकी अवधि छह साल होती है। एच-1 बी वीजा धारक पांच साल बाद स्थायी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। मौजूदा प्रावधान के मुताबिक इसे पाने वाले कर्मचारी की सैलरी कम से कम 60 हजार डॉलर सालाना होनी चाहिए। भारत की आईटी कंपनियां इसका खूब इस्तेमाल करती हैं जिनमें टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस और टेक महिंद्रा शामिल हैं।

एच-1बी वीजा के लिए लागू हो सकती हैं कड़ी शर्तें

एच-1 बी वीजा से जुड़े प्रस्तावित विधेयक में कई कठिन शर्तों का प्रावधान है। इसमें वीजा पर निर्भर कंपनियों की परिभाषा को कड़ा किया गया है। साथ ही वेतन और प्रोफेशनल्स की आवाजाही पर भी कुछ कड़े नियम बनाए गए हैं। कंपनियों पर भी यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डाली जाएगी कि वीजा अवधि के दौरान मौजूदा कर्मचारी को नहीं हटाया जाएगा।

नैसकॉम के अध्यक्ष आर चंद्रशेखर ने मीडिया को बताया कि इस विधेयक में ऐसी शर्तें रखी गई हैं जिससे वीजा हासिल करना कठिन हो जाएगा और इसके इस्तेमाल में भी परेशानी आएगी। अमेरिकी संसद की न्यायिक समिति ने इस विधेयक को पारित कर दिया है। अब इसे अमेरिकी सीनेट को भेजा जा रहा है। इस कानून के फरवरी 2018 तक प्रभावी होने की संभावना है।

एच-1बी वीजा से जुड़ी कुछ अन्य जरूरी बातें

- अमेरिका में पिछले कई सालों से इस वीजा को लेकर कड़ा विरोध करते हो रहा है। अमेरिकी लोगों का मानना है कि कंपनियां इस वीजा का गलत तरह से इस्तेमाल करती हैं। इन लोगों का आरोप है कि कंपनियां एच-1बी वीजा का इस्तेमाल कर अमेरिकी नागरिकों की जगह कम सैलरी पर विदेशी कर्मचारियों को रख लेती हैं।

- 2013 में भारतीय आईटी कंपनी इंफोसिस को एच-1 बी वीजा के गलत इस्तेमाल के एक मामले में करीब 25 करोड़ रुपए का जुर्माना देना पड़ा था।

- साल 2016 में हुए चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप ने इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। ट्रंप ने अपनी कई रैलियों में इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात भी कही थी। बीते साल जनवरी में ही इसकी फीस को 2000 से बढ़ाकर 6000 डॉलर कर दिया गया था।

- अमेरिका की लेबर मिनिस्ट्री के अनुसार एच-1 बी वीजा के लिए आवदेन करने वाली कंपनियों में विप्रो, इंफोसिस और टीसीएस का नंबर क्रमश: पांचवां, सातवां और दसवां था।

- हर साल दिए जाने वाले कुल 85000 एच-1बी वीजा में से 60 फीसदी भारतीय कंपनियों को दिए जाते हैं।

- भारत सरकार ने भी अमेरिका से वीजा नियमों में बदलाव की खबर आते ही ट्रंप प्रशासन को अपनी चिंताओं के बारे में सूचित कर दिया है। इस मसले पर केंद्र सरकार और आईटी कंपनियों के अधिकारियों के बीच कई बैठकें भी हो चुकी हैं।

Web Title: Donald Trump new rules on H-1B visa, 7.50 lakh Indian professionals may deport

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