महिलाओं को मुफ्त मेट्रो सेवा से दिल्ली सरकार पर पड़ेगा 1560 करोड़ का बोझ, डीएमआरसी ने सौंपी रिपोर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 14, 2019 01:39 PM2019-06-14T13:39:35+5:302019-06-14T13:39:35+5:30
डीएमआरसी ने दिल्ली सरकार के इस फैसले को लेकर कानूनी सलाह भी ले रही है ताकि इससे पता चले कि क्या ऐसा कोई प्रावधान है कि कोई राज्य सरकार किसी वर्ग विशेष को इस तरह का छूट दे सकती है.
डीएमआरसी ने महिलाओं को मेट्रो सेवा फ्री करने के केजरीवाल सरकार के फैसले पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट के अनुसार, इससे सालाना 1560 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जिसमें डीएमआरसी द्वारा संचालित फीडर बसें भी शामिल हैं.
बुधवार को ही अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार डीएमआरसी को होने वाले नुकसान की भरपाई करेगी. 3 जून को दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन करते हुए अरविन्द केजरीवाल ने ऐलान किया था कि उनकी सरकार महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें मेट्रो और बस सेवा फ्री में मुहैया करवाएगी. दिल्ली सीएम ने उन महिलाओं से सब्सिडी नहीं लेने का एलान किया था जो टिकट खरीदने में सक्षम हैं.
डीएमआरसी ने दिल्ली सरकार के इस फैसले को लेकर कानूनी सलाह भी लेने का मन बनाया है ताकि इससे पता चले कि क्या ऐसा कोई प्रावधान है कि कोई राज्य सरकार किसी वर्ग विशेष को इस तरह का छूट दे सकती है. इसके साथ ही मेट्रो फेयर सिस्टम को अपग्रेड करने का भी काम जारी है जिसके तहत ऐसे स्मार्टकार्ड जारी किए जायेंगे जो नॉन-ट्रांस्फेरब्ल हो.
दिल्ली मेट्रो एक ऐसी तकनीक को भी विकसित करेगी जिससे फ्री मेट्रो राइड सर्विस के वास्तविक लाभकारियों की पहचान की जा सके.
अरविन्द केजरीवाल के फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली थी. बीजेपी ने इसे दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा था. महिलाओं से जुड़े संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया था.
केजरीवाल सरकार में एक भी नई बस नहीं खरीदी गई है. दिल्ली में इस वक्त डीटीसी की 5 हजार से ज्यादा बसें चलती हैं जबकि एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 10 हजार से ज्यादा बसों की जरूरत है.