Dhanwar Assembly Seat: भाजपा ने झारखंड में किया खेला?, निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय को किया शामिल, बाबूलाल मरांडी और राजकुमार यादव के बीच मुकाबला
By एस पी सिन्हा | Updated: November 16, 2024 17:41 IST2024-11-16T17:40:12+5:302024-11-16T17:41:15+5:30
Dhanwar Assembly Seat: बाबूलाल के करीबी माने जाने वाले निरंजन राय ने इस सीट से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया था, जिससे भाजपा की परेशानी बढ़ गई थी।

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Dhanwar Assembly Seat: झारखंड में सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है। सत्ता हासिल करने के लिए पार्टी एक साथ कई मोर्चों पर काम कर रही है। इसमें झामुमो में सेंधमारी से लेकर बागियों को मनाना और निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने पक्ष में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। इसी कड़ी में झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गिरिडीह जिले के धनवार विधानसभा सीट के निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय को अपनी तरफ मिलाने में कामयाबी हासिल की है। इससे धनवार के समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा।
निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय को डोरंडा में गृहमंत्री अमित शाह के चुनावी सभा कार्यक्रम में अंग वस्त्र पहनाकर भाजपा में शामिल किया गया। बता दें कि गिरिडीह जिले की धनवार सीट पर 20 नवंबर को मतदान होना है। यहां पर भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल मरांडी और भाकपा- माले प्रत्याशी राजकुमार यादव के बीच मुकाबला है।
धनवार में भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे निरंजन राय को मनाने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और सांसद निशिकांत दुबे उनके घर गये थे। तीनों नेताओं की बंद कमरे में लंबी बात हुई। इसके बाद निरंजन राय को निशिकांत दुबे और हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने साथ ले गए और तीनों नेता डोरंडा में आयोजित अमित शाह के कार्यक्रम में पहुंचे।
चुनावी सभा कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने धनवार के निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय को अंग वस्त्र पहनाकर पार्टी में शामिल किया। दरअसल, धनवार विधानसभा सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के चुनाव लडने के कारण सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है।
बाबूलाल के करीबी माने जाने वाले निरंजन राय ने इस सीट से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया था, जिससे भाजपा की परेशानी बढ़ गई थी। भूमिहार जाति से आने वाले निरंजन की लोकप्रियता को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही थी कि उनकी उम्मीदवारी से भाजपा को सीधा नुकसान हो सकता है। ऐसे में निरंजन राय को मनाने की कोशिशें जारी थी और अंतत: भाजपा ने इसमें सफलता हासिल कर ली।