भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा 'किंगमेकर' इस नेता को बोला जाना चाहिए!

By विकास कुमार | Published: January 9, 2019 04:51 PM2019-01-09T16:51:58+5:302019-01-09T17:13:21+5:30

पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब 'बियॉन्ड द लाइन्स' में दावा किया था कि उन्होंने ही देवीलाल को प्रधानमंत्री का पद नहीं स्वीकारने को कहा था. क्योंकि उस वक्त देश में वीपी सिंह का जबरदस्त माहौल था.

Devi lal is the kingmaker of Indian politics, make VP SINGH PM | भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा 'किंगमेकर' इस नेता को बोला जाना चाहिए!

भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा 'किंगमेकर' इस नेता को बोला जाना चाहिए!

भारतीय राजनीति में किंगमेकर की भूमिका हमेशा से ही प्रासंगिक रही है. बदलते राजनीतिक परिवेश में अलग-अलग पार्टी के नेताओं ने किंगमेकर की भूमिका निभाई है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही रहा है कि भारतीय राजनीति में आखिर सबसे बड़ा किंगमेकर कौन रहा है.

लालू यादव का नाम अक्सर सबसे बड़े किंगमेकर के रूप में लिया जाता है लेकिन एक राजनेता ऐसे भी हैं जिन्हें इस भूमिका के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है. जिन्हें भारतीय राजनीति में प्यार से ताऊ कहा जाता रहा है और जिसने राजीव गांधी को कुर्सी से अपदस्थ कर एक राजा को भारत का प्रधानमंत्री बनवाया.

आज के दौर में कल्पना करना मुश्किल है कि भारत में ऐसा कोई नेता रहा है जो बहुमत से संसदीय दल का नेता मान लिए जाने के बाद भी अपनी जगह किसी दूसरे शख़्स को प्रधानमंत्री बना देता हो.

लेकिन हरियाणा के चौधरी देवीलाल ने ये कर दिखाया था. पहली दिसंबर, 1989 को आम चुनाव के बाद नतीजे आने के बाद संयुक्त मोर्चा संसदीय दल की बैठक हुई और उस बैठक में विश्वनाथ सिंह के प्रस्ताव और चंद्रशेखर के समर्थन से चौधरी देवीलाल को संसदीय दल का नेता मान लिया गया था.

देवीलाल धन्यवाद देने के लिए खड़े ज़रूर हुए लेकिन सहज भाव से उन्होंने कहा, "मैं सबसे बुजुर्ग हूं, मुझे सब ताऊ कहते हैं, मुझे ताऊ बने रहना ही पसंद है और मैं ये पद विश्वनाथ प्रताप को सौंपता हूं."

पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब 'बियॉन्ड द लाइन्स' ने अपनी किताब में दावा किया था कि उन्होंने ही देवीलाल को प्रधानमंत्री का पद नहीं स्वीकारने को कहा था. क्योंकि उस वक्त देश में वीपी सिंह का जबरदस्त माहौल था. राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स मामले में उन्होंने ही पूरे देश में घूमकर माहौल बनाया था.  

ताऊ देवी लाल 

बहरहाल, ये भी राजनीति का ही खेल है कि वीपी सिंह ने बाद में देवीलाल को अपने मंत्रिमंडल से हटा दिया. इसके पीछे देवीलाल की वो चिठ्ठी थी जिसमें उन्होंने वीपी सिंह की आलोचना की थी, लेकिन बाद में वो चिठ्ठी फर्जी साबित हुई थी. ऐसा कहा जाता है कि देवीलाल के विरोधियों ने उनके खिलाफ ये साजिश रची थी.  

इसके बाद चौधरी देवीलाल फिर उपप्रधानमंत्री बने, जब चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने. महज चार महीने के भीतर कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के कारण चंद्रशेखर की सरकार गिर गई.

चौधरी देवीलाल के ऊपर गंभीर आरोप भी लगे, जिसमें अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को चुनाव जीताने के लिए गुंडों की मदद सरीखा आरोप भी शामिल है. मेहम से हुए उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला के समर्थकों ने बड़े पैमाने पर बूथ कैप्चरिंग किया था जिसके बाद प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चौटाला सरकार को बर्खास्त कर दिया था. और यहीं से देवीलाल और वीपी सिंह के बीच तनातनी शुरू हुई थी.

ऐसे लोग कहते हैं कि चौधरी देवीलाल एक समझदार नेता थे और उन्हें इस बात का अंदाजा था कि अगर वीपी सिंह के जगह वो प्रधानमंत्री बनते हैं तो जनता दल में फूट हो सकती है.

भारत की राजनीति में किंगमेकर की जो परिभाषा रही है, उसके मुताबिक देवीलाल सबसे बड़े किंगमेकर के रूप में प्रतीत होते हैं. 
 

Web Title: Devi lal is the kingmaker of Indian politics, make VP SINGH PM

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