रोजा रहने के बावजूद रक्तदान कर अलीशा ने जीता सबका दिल, लॉकडाउन में लिवर रोगी की मदद की

By भाषा | Published: April 29, 2020 01:19 PM2020-04-29T13:19:09+5:302020-04-29T13:19:09+5:30

लॉकडाउन की वजह से पीड़ित परिवार को खून नहीं मिल पा रहा था। ओ नेगेटिव’ समूह के खून की मरीज को जरूरत थी जो बहुत ही दुर्लभ होता है।

Despite on Roza muslim women donate blood, helps the liver patient in lockdown | रोजा रहने के बावजूद रक्तदान कर अलीशा ने जीता सबका दिल, लॉकडाउन में लिवर रोगी की मदद की

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsभारत में कोरोना वायरस की वजह से तीन मई तक लॉकडाउन है।अलीशा ने कहा कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी हुई कि वह किसी की जान बचाने में मददगार बनने जा रही हैं।

लखीमपुर खीरी:  लखीमपुर खीरी जिले में एक मुस्लिम युवती ने रोजा रखते हुए रक्तदान करके मिसाल पेश की है और लिवर के गंभीर रोगी की मदद की है। लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे विजय रस्तोगी का ब्लड ग्रुप 'ओ नेगेटिव' है। उनकी सेहत बिगड़ने पर खून चढ़ाये जाने की जरूरत थी। ऐसे में अलीशा खान उनके लिए फरिश्ता बनकर सामने आईं और रोजा इफ्तार के फौरन बाद उन्होंने विजय के लिए रक्तदान करके एक मिसाल पेश की है। विजय रस्तोगी की पड़ोसी और सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति अवस्थी ने बुधवार को 'भाषा' को बताया कि विजय को पिछले काफी समय से लिवर की गंभीर बीमारी है। करीब एक हफ्ते पहले उनकी हालत बेहद खराब हो गई थी और उनका हीमोग्लोबिन खतरनाक तरीके से निचले स्तर पर पहुंच गया था।

अलीशा ने बिना किसी हिचक के खून देने के लिए रजी हो गई:सामाजिक संस्था

तृप्ति के मुताबिक डॉक्टरों ने परिवार को ‘ओ नेगेटिव’ समूह के रक्त का इंतजाम करने को कहा था। यह रक्त ग्रुप दुर्लभ होता है। उन्होंने बताया कि विजय के परिजन ने लॉकडाउन के दौरान खून का इंतजाम करने की भरसक कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। ऐसी हालत में उन्होंने एक सामाजिक संस्था चलाने वाले जसपाल सिंह पाली से संपर्क किया। पाली ने बताया कि उन्होंने रक्तदाताओं की एक सूची तैयार कर रखी है जिसमें अलीशा खान का नाम सामने आया, जिनका ब्लड ग्रुप ‘ओ नेगेटिव’ है।

पाली के मुताबिक उस दिन रमजान का पहला दिन था, लिहाजा अलीशा से रक्तदान की खातिर संपर्क करने में हिचक महसूस हो रही थी लेकिन विजय की हालत को देखते हुए उन्होंने अलीशा से फोन करके मदद मांगी। उन्होंने बताया कि अलीशा ने बिना किसी हिचक के खून देने के लिए रजामंदी दे दी और कहा कि वह रोजा इफ्तार करने के बाद निश्चित रूप से अस्पताल आकर रक्तदान करेंगी। वह अपने वादे के मुताबिक अस्पताल पहुंचीं और रक्तदान किया।

अलीशा ने कहा कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी हुई कि वह किसी की जान बचाने में मददगार बनने जा रही हैं। विजय के बेटों नवीन और प्रवीण ने अलीशा के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि खून चढ़ाए जाने के बाद उनके पिता का हीमोग्लोबिन स्तर बेहतर हुआ है। अभी उनका इलाज किया जा रहा है। 

Web Title: Despite on Roza muslim women donate blood, helps the liver patient in lockdown

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