दिल्ली की सरहदें ' अंतराष्ट्रीय सीमा' जैसी दिख रही हैः किसान नेता
By भाषा | Updated: February 3, 2021 20:28 IST2021-02-03T20:28:55+5:302021-02-03T20:28:55+5:30

दिल्ली की सरहदें ' अंतराष्ट्रीय सीमा' जैसी दिख रही हैः किसान नेता
नयी दिल्ली, तीन फरवरी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बुधवार को आरोप लगाया कि दिल्ली की सरहदें "अंतरराष्ट्रीय सीमाओं" जैसी लग रही हैं और अधिकारी अस्थायी दीवार बना रहे हैं, बड़ी-बड़ी कीलें सड़कों पर गाड़ रहे हैं और कांटेदार बाड़ लगा रहे हैं। वहीं अधिकारियों ने कानून एवं व्यवस्था का हवाला देकर अपने इस कदम का बचाव किया है।
सिंघू (दिल्ली-हरियाणा) बॉर्डर, गाजीपुर (दिल्ली-उत्तर प्रदेश) बॉर्डर, और टीकरी (दिल्ली-हरियाणा) बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन चल रहा है जहां गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद से सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और विभिन्न पाबंदियां लगाई गई हैं।
26 जनवरी को हुई हिंसा में 500 से ज्यादा पुलिस कर्मी जख्मी हुए थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।
गणतंत्र दिवस पर किसानों को ट्रैक्टर परेड निकालनी थी लेकिन सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने पहले से तय रास्ते का उल्लंघन कर पुलिस के साथ संघर्ष किया और लाल किले को घेर लिया तथा ध्वज स्तंभ पर चढ़ गए।
गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर शिपिंग कंटेनर लगाए गए हैं, अवरोधकों के बीच में सरिए लगाए गए हैं तथा सीमेंट के खंड रखे गए हैं और कांटेदार तारें लगाई गई हैं, बड़े-बड़े पत्थर रखें गए हैं और लौहे की कीलों को सड़क पर गाड़ा गया है ताकि लोग दिल्ली या प्रदर्शन स्थल तक न पहुंच पाएं।
किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने पीटीआई-भाषा से कहा, " प्रदर्शन स्थल अंतरराष्ट्रीय सीमा जैसे दिख रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो कि हम पाकिस्तान से आए हैं। एक ओर वे (सरकार) हमसे बात करना चाहते हैं और दूसरी ओर वे (शहर से) हमारा संपर्क तोड़ने के लिए सबकुछ कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, " यह सरकार की बेचैनी को दिखाता है।"
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा और दिल्ली हरियाणा सीमा पर लौहे के भारी बैरिकेड के अलावा, कंक्रीट के खंड, खाई खोदना, रास्ता रोकने के लिए डीटीसी की बसों का इस्तेमाल करने जैसे उपाय किए गए हैं।
जमहूरी किसान सभा के महासचिव संधू ने दावा किया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवरोधक लगाना और लोगों व वाहनों की आवाजाही रोकना आम लोगों को "परेशान" करने की अधिकारियों की "रणनीति" है ताकि उन्हें प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ खड़ा किया जा सके।
उन्होंने कहा, " लेकिन किसान हिलेंगे नहीं। वे हमारे रास्ते में कितने ही अवरोध पैदा कर दें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।“
संधू ने कहा, " वे (अधिकारी) नहीं जानते हैं कि स्थानीय लोग एवं पूरे देश के लोग हमारे आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। दुखद है कि सरकार ने गाज़ीपुर की घटना से सबक नहीं सीखा ।"
सिंघू बॉर्डर पर बीते 15 दिनों से डेरा डाले हुए 26 वर्षीय मनदीप सिंह भी संधू की भावनाओं से सहमत नजर आए और कहा कि ताकत दिखाने और सड़कों को अवरुद्ध करने से स्थानीय लोगों को परेशानी होगी न कि प्रदर्शनकारी किसानों को।"
पंजाब के लुधियाना जिले के रहने वाले सिंह ने कहा, " ये अवरोध हमारी भावना को कम नहीं कर सकते हैं या हमारे आंदोलन को प्रभावित नहीं कर सकते हैं। हम अपने नेताओं के निर्देशों का पालन कर रहे हैं, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम अपने संबंधित स्थानों पर रहें। हम न आगे बढ़ेंगे न पीछे जाएंगे। आखिरकार स्थानीय लोगों को इससे परेशानी होगी न कि हमें।"
प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि कई स्थानीय लोग उनकी मदद कर रहे हैं। चाहे अपने घरों से बिजली देना हो या महिला प्रदर्शनकारियों को अपने घरों के शौचालयों का इस्तेमाल करने की इजाजत देना हो या फिर अपनी दुकानों के वाईफाई कनेक्शन को साझा करना हो।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने प्रदर्शन स्थलों पर इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है।
प्रदर्शन स्थलों पर हजारों सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है।
दिल्ली के पुलिस आयुक्त एनएन श्रीवास्तव ने मंगलवार को कड़े सुरक्षा उपायों का बचाव करते हुए कहा कि बल ने अवरोधकों को मजबूत किया है ताकि इसे फिर से तोड़ा न जा सके।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को सवाल किया कि सरकार दिल्ली में किलेबंदी क्यों कर रही है? और कहा कि किसान देश के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और उनके साथ इस तरह से बर्ताव नहीं करना चाहिए।
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