ताहिर हुसैन के खिलाफ केस दर्ज, NCP नेता नवाब मलिक ने कहा- अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा पर कब सरकार करेगी मुकदमा दर्ज
By रामदीप मिश्रा | Published: February 28, 2020 10:42 AM2020-02-28T10:42:20+5:302020-02-28T10:42:20+5:30
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कपिल मिश्रा और भाजपा के अन्य नेताओं के खिलाफ कथित नफरत भरे भाषण देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं किये जाने पर निराशा जताई थी।
आईबी के अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के आरोप लगने और घर की छत पर पत्थर और पेट्रोल बम का जखीरा मिलने के बाद पार्षद ताहिर हुसैन को आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित कर दिया गया। साथ ही साथ दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया। इस बीच एनसीपी नेता व महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी वाली सरकार पर हमला बोला है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने कहा, 'हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई हो। AAP नेता पर उंगली उठी, मुकदमा दर्ज हुआ अच्छी बात है। लेकिन, अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा पर मुकदमा कब दर्ज करेगी सरकार? हाई कोर्ट के जज जिन्होंने कड़ा रुख अपनाया उन्हें पंजाब भेजा गया।
बता दें, अधिकारियों को राजधानी में 1984 के सिख विरोधी दंगों की पुनरावृत्ति नहीं होने देने के लिए आगाह करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कपिल मिश्रा और भाजपा के अन्य नेताओं के खिलाफ कथित नफरत भरे भाषण देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं किये जाने पर निराशा जताई थी। उत्तर पूर्व दिल्ली में रविवार को भड़के सांप्रदायिक दंगों को रोक पाने में दिल्ली पुलिस की कथित नाकामी पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को पेशेवेर तरीके से काम नहीं करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
बीते दिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उत्तर-पूर्व दिल्ली हिंसा के सिलसिले में 48 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं और राष्ट्रीय राजधानी में स्थिति सामान्य होने तक न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ को सूचित किया कि भाजपा के तीन नेताओं द्वारा कथित तौर पर दिए गए नफरत भरे भाषण को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दायर याचिका पर केंद्र और पुलिस को जवाब दाखिल करने की जरूरत है। मेहता ने यह भी कहा कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है और इसलिए इसे मामले में पक्षकार बनाया जाए।
वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस. मुरलीधर का पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला कर दिया गया। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने कुछ दिन पहले ही उनके स्थानांतरण की सिफारिश की थी। न्यायमूर्ति मुरलीधर दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे थे और यह अधिसूचना ऐसे दिन जारी की गई जब उनकी अगुवाई वाली पीठ ने कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस के प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर 'नाराजगी' जताई थी।
विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया था कि राष्ट्रपति ने प्रधान न्यायाधीश से विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया। अधिसूचना में हालांकि, यह जिक्र नहीं किया गया था कि न्यायमूर्ति मुरलीधर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपना कार्यभार कब संभालेंगे।