दिल्ली हिंसा के दौरान कम-से-कम 102 लोगों को लगी थी गोली, करीब 500 लोग हुए थे घायल
By अनुराग आनंद | Published: March 6, 2020 11:37 AM2020-03-06T11:37:12+5:302020-03-06T13:01:25+5:30
दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 654 मामले दर्ज किए हैं।
दिल्ली हिंसा के मामले में कम-से-कम 102 लोगों को गोली लगी थी। वहीं, इस हिंसा के दौरान करीब 500 लोग घायल हुए थे। हालांकि, यह इस रिपोर्ट में साफ नहीं है कि मारे गए लोगों में से कितने को गोली लगी थीं। इसके अलावा, दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 654 मामले दर्ज किए हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट मुताबिक, पुलिस नियंत्रण कक्ष को 22 फरवरी से 29 फरवरी के बीच लगभग 21,000 कॉल मिले थे। इनमें से ज्यादातर कॉल हिंसा प्रभावित इलाके से संकट में फंसे लोगों द्वारा किए गए थे।
इसके साथ ही रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि दंगों से संबंधित मामलों की जांच के लिए गठित दो विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा अभी तक 47 हत्याओं के मामले में कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है। इसके अलावा, पुलिस अभी भी हिंसा के शुरू होने के बारे में सही से पता लगाने की कोशिश कर रही है।
मृतकों की संख्या पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं-
पीटीआई के हवाले से उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में हुई मौतों का आंकड़ा गुरुवार को 44 पर पहुंच गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि हिंसा में 53 मौतें हुई।
इसी बीच इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि लोकनायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में हुईं तीन मौतें और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुई पांच मौतों का संबंध हिंसा से है या नहीं।
उत्तर पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी शशि कौशल ने बताया, “मृतकों की संख्या 44 पर पहुंच गई है। हम अभी पुलिस की ओर से मृतकों की संख्या पुष्ट होने का इंतजार कर रहे हैं।” पुलिस ने भी मृतकों की संख्या 44 होने की पुष्टि की।
दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त जन संपर्क अधिकारी अनिल मित्तल ने कहा, “उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में 44 लोगों की मृत्यु हुई है।”
दिल्ली हिंसा पर संसद के सदन में हंगामे पर कांग्रेस के सदस्य निलंबित हुए-
कांग्रेस सांसदों के निलंबित किए जाने के मामले पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यहां तानाशाही चलती है। ये नहीं चाहते कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा हो। हम सब ने विरोध किया था। मैंने भी विरोध किया था,ये लोग मुझे क्यों नहीं निलंबित करते है।
कांग्रेस ने अपने सात लोकसभा सदस्यों के मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि से निलंबित किए जाने को बदले की भावना से उठाया गया कदम करार दिया और दावा किया कि ‘‘यह फैसला लोकसभा अध्यक्ष का नहीं, बल्कि सरकार का है।’’
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार के इस ‘तानाशाही वाले निर्णय’ से पार्टी के सदस्य झुकने वाले नहीं हैं और वे दिल्ली हिंसा पर तत्काल चर्चा की मांग उठाते रहेंगे।
चौधरी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज जो हुआ है वो संसदीय लोकतंत्र के लिए शर्मिंदगी की दास्तान है। हम दो मार्च से मांग करते आ रहे हैं कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा शुरू कराई जाए। हिंसा से देश की छवि धूमिल हो रही है, लोगों की जान जा रही है और मजहबी दरार बढ़ती जा रही है। इसलिए हम देश की खातिर चर्चा चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी के नेतृत्व में हमने प्रभावित इलाकों का दौरा किया। हमने आज भी कहा कि हम सभी चीजों पर सहयोग करेंगे, लेकिन दिल्ली हिंसा पर चर्चा होना चाहिए।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘लोकसभा अध्यक्ष ने सुबह बुलाकर हमसे कहा कि सरकार कोरोना वायरस पर बयान देना चाहती है जिस पर हमने सहमति जताई। सरकार ने कोरोना वायरस पर बयान दिया और उसके बाद हमने फिर से दिल्ली हिंसा पर चर्चा की मांग उठाई।’’