Delhi Police Green Corridor: जिंदगी के लिए 'जिंदा लिवर', दिल्ली एयरपोर्ट से 18 मिनट में ऐसे पहुंचा
By धीरज मिश्रा | Published: March 20, 2024 12:23 PM2024-03-20T12:23:10+5:302024-03-20T12:42:56+5:30
Delhi Police Green Corridor: दिल्ली ट्राफिक पुलिस ने बुधवार को ग्रीन कॉरिडोर बनाया। ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनवाकर 18 मिनट में दिल्ली एयरपोर्ट से द्वारका के एक प्राइवेट अस्पताल तक लीवर पहुंचाया।
Delhi Police Green Corridor:दिल्ली ट्राफिक पुलिस ने मंगलवार को ग्रीन कॉरिडोर बनाया। ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनवाकर 18 मिनट में दिल्ली एयरपोर्ट से द्वारका के एक प्राइवेट अस्पताल तक लीवर पहुंचाया। बताते चले कि साल 2023 में ट्रैफिक पुलिस ने 24 कॉरिडोर बनाए थे, इस साल अब तक 8 कॉरिडोर बनाए।
On 19.03.2024, Delhi Traffic Police created a Green Corridor to facilitate transportation of human liver from IGI Airport to Aakash Healthcare Super Speciality Hospital, Dwarka. 35 traffic personnel helped cover 16 kilometres in just 18 minutes. #DelhiPoliceCarespic.twitter.com/wf89csZJAe
— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) March 20, 2024
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, चंडीगढ़ से दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे लीवर को द्वारका के एक अस्पताल तक पहुंचाने के लिए 16 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि लिवर को मंगलवार दोपहर करीब 1.30 बजे चंडीगढ़ से आईजीआई हवाई अड्डे पर लाया गया और 18 मिनट में ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से द्वारका के आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ले जाया गया। अधिकारी ने कहा कि ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से अंग ले जाने वाली एम्बुलेंस की सुचारू और तेज़ आवाजाही के लिए पैंतीस यातायात कर्मियों को तैनात किया गया था।
पुलिस के अनुसार, अस्पताल प्रशासन के द्वारा बताया गया था कि चूंकि अंग को नाजुक ढंग से संभालने की आवश्यकता होगी, इसलिए इसे लगभग 15 किलोग्राम वजन के एक सीलबंद बक्से में ले जाया जाएगा। अस्पताल ने पुलिस से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि अंग एक्स-रे के संपर्क में न आए। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस साल अब तक आठ ग्रीन कॉरिडोर उपलब्ध कराए हैं और पिछले साल 24 ऐसे मार्ग उपलब्ध कराए हैं।
क्या होता है ग्रीन कॉरिडोर
मेडिकल इमरजेंसी के दौरान ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाता है। इसके तहत एक रूट तैयार होता है। जिसमें किसी अन्य की एंट्री नहीं होती है। इस रूट पर पुलिस की पल पल की नजर होती है। इस रूट के माध्यम से कई बार मानव जीवन को बचाने के लिए एंबुलेंस से उसे अस्पताल पहुंचाया जाता है। इस रूट की पूरी निगरानी ट्रैफिक पुलिस के द्वारा होती है।