राजपथ और सिग्नेचर ब्रिज की तस्वीरों में देखें दिल्ली में अभी भी खतरनाक है एयर क्वालिटी, अस्पतालों में बढ़ती जा रही है मरीजों की संख्या
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 2, 2019 09:13 AM2019-11-02T09:13:20+5:302019-11-02T09:13:20+5:30
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ ही अस्पतालों में सांस एवं हृदय संबंधी दिक्कतों वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सक स्थानीय लोगों विशेषकर बच्चों एवं बुजुर्गों को यथासंभव घर के अंदर ही रहने की सलाह दे रहे हैं।
देश की राजधानी दिल्ली पर छायी दमघोंटू धुंध की चादर आसमान को लगातर ढके हुये है। हवा की गुणवत्ता अभी भी खतरनाक बनी हुयी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एक अधिकारी के मुताबिक इस साल जनवरी के बाद पहली बार एक्यूआई ‘बेहद गंभीर’ या ‘आपात’ श्रेणी में पहुंच गया। एएनआई के ट्वीट में दिखायी गई तस्वीरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी दिल्ली में प्रदूषण का क्या हाल है।
यदि वायु गुणवत्ता 48 घंटे से अधिक अवधि तक ‘बेहद गंभीर’ श्रेणी में बनी रहती है तो ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के तहत आपात उपाय किए जाते हैं जिसमें कारों के लिए सम-विषम योजना लागू करना, ट्रकों के प्रवेश और निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाना और स्कूल बंद करना आदि शामिल होते हैं।
Delhi: Thick smog continues to cover sky, air quality continues to remain in 'Severe' category; Visuals from Rajpath and Signature Bridge pic.twitter.com/m3qhE3MieV
— ANI (@ANI) November 2, 2019
प्रदूषण के खतरनाक स्तर के चलते बड़ी संख्या में लोगों ने सुबह की सैर और अन्य गतिविधियां छोड़ दी हैं। दिल्ली के एक पत्रकार सुभयम सिकदर ने कहा कि प्रदूषण स्तर के चलते उन्हें गले का संक्रमण हो गया है। सर गंगाराम अस्पताल में फेफड़ों के शल्य चिकित्सक डॉ अरविंद कुमार ने कहा, ‘‘प्रदूषित वायु का 22 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर श्वांस के साथ शरीर में जाने पर यह एक सिगरेट पीने के बराबर होता है। ऐसे में पीएम 2.5 का स्तर 700 हो या 300 हो, इसका प्रभाव बुरा होता है। लोगों को एहतियात बरतनी चाहिए खासकर उन लोगों को जो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या श्वास संबंधी अन्य रोगों से पीड़ित हैं।’’
पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में जन स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा करते हुए सभी निर्माण कार्यों पर पांच नवम्बर तक प्रतिबंध लगा दिया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ ही अस्पतालों में सांस एवं हृदय संबंधी दिक्कतों वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सक स्थानीय लोगों विशेषकर बच्चों एवं बुजुर्गों को यथासंभव घर के अंदर ही रहने की सलाह दे रहे हैं।
बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों पर पड़ता है ज्यादा असर
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘‘आंखों से पानी आने, खांसी, सांस में परेशानी, एलर्जी, अस्थमा की परेशानी बढ़ जाने, हृदय संबंधी परेशानियों जैसी शिकायतों के साथ मरीज आ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो इससे बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों पर सबसे बुरा असर पड़ता है। वायुमंडल में प्रदूषकों के उच्च स्तर से फेफड़े पर असर पड़ने के अलावा रक्त शिराओं में सूजन आ जाती है जिससे धमनियां सख्त हो जाती हैं। इससे पहले से ही रोगों के कारण जोखिम का सामना कर रहे व्यक्तियों में दिल का दौरा पड़ सकता है।
जिन मरीजों को सिर्फ दवा से सही किया जा सकता था उनको भर्ती करना पड़ रहा है
एम्स के जराचिकित्सा (जेरीऐट्रिक्स) विभाग के सहायक प्रोफेसर विजय गुर्जर ने कहा कि प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न दिक्कतों का सामना कर रहे बुजुर्ग मरीजों की संख्या में करीब 20-25 फीसदी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि जिन मरीजों को बस दवा देकर सही किया जा सकता था, उन्हें अब भर्ती करने की जरूरत हो रही है।
सीएम केजरीवाल ने स्थिति को 'गैस चैंबर' बताया
सरकारी एजेंसी ‘सफर’ ने कहा कि दिल्ली में करीब 46 प्रतिशत प्रदूषण पड़ोसी पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से हुआ है जो कि इस वर्ष सबसे अधिक है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति को एक ‘‘गैस चैंबर’’ जैसा करार दिया और कहा कि जीआरएपी के तहत उनकी सरकार ने सभी स्कूलों को पांच नवम्बर तक बंद करने का निर्णय किया है। सम-विषम योजना चार नवम्बर से एक पखवाड़े के लिए लागू होगी।
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का उल्लेख करते हुए बच्चों को जारी एक संदेश में कहा, ‘‘कृपया कैप्टन अंकल और खट्टर अंकल को पत्र लिखें और कहें ‘कृपया हमारी सेहत का ध्यान रखे’।’’