Delhi Riots: उमर खालिद और शरजील इमाम की याचिका पर 22 सितंबर को होगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 19, 2025 11:53 IST2025-09-19T11:52:47+5:302025-09-19T11:53:15+5:30

Delhi Riots: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।

Delhi riots Supreme Court defers hearing on bail pleas of Umar Khalid Sharjeel Imam and others | Delhi Riots: उमर खालिद और शरजील इमाम की याचिका पर 22 सितंबर को होगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

Delhi Riots: उमर खालिद और शरजील इमाम की याचिका पर 22 सितंबर को होगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

Delhi Riots:  उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों की कथित साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 22 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी। कार्यकर्ताओं ने दो सितंबर के दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें खालिद और इमाम समेत नौ लोगों को ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागरिकों द्वारा प्रदर्शनों या विरोध प्रदर्शनों की आड़ में ‘‘षड्यंत्रकारी’’ हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती। खालिद और इमाम के अलावा फातिमा, हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद की जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दी गयी थीं।

एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका दो सितंबर को उच्च न्यायालय की एक अलग पीठ ने खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में भाग लेना और सार्वजनिक सभाओं में भाषण देने का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित है लेकिन इसका गलत तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

अदालत ने जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए कहा था, ‘‘यह अधिकार पूर्णत: लागू नहीं होता क्योंकि यह संविधान द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों के अधीन है। अगर विरोध प्रदर्शन के अप्रतिबंधित अधिकार के प्रयोग की अनुमति दी गई तो यह संवैधानिक ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा और देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करेगा।’’

खालिद, इमाम और अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों का कथित तौर पर मुख्य षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।

दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। आरोपियों ने अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया है। वे 2020 से जेल में हैं और एक निचली अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था। 

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