दिल्ली के वायु प्रदूषण में आंशिक कमी, फिर भी AQI खराब, जानिए कहां-कैसी रही स्थिति
By भाषा | Published: October 18, 2019 05:57 AM2019-10-18T05:57:34+5:302019-10-18T05:57:34+5:30
केंद्र संचालित ‘सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने कहा कि पिछले तीन दिनों में हरियाणा, पंजाब और सीमावर्ती इलाकों में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी आग की कुछ घटनाएं सामने आई हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 276 पर रहा लेकिन पराली जलाने की घटनाओं से सप्ताहांत में वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट होने की आशंका जताई गई है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए स्थापित 37 केंद्रों में 10 में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई और कुल मिलाकर शहर का एक्यूआई 304 पर रहा।
एक्यूआई डीटीयू-दिल्ली, सिरीफोर्ट, जहांगीरपुरी, रोहिणी, विवेक विहार, नरेला, वजीरपुर, बवाना, मुंडका और आनंद विहार में क्रमश: 320, 302, 301, 310, 305, 315, 311, 328, 303 और 304 दर्ज किया गया। मानकों के अनुसार शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा माना जाता है। 51 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 को मध्यम श्रेणी, 201 से 300 को खराब, 301 से 400 को बहुत खराब और 401 से 500 को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है।
केंद्र संचालित ‘सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने कहा कि पिछले तीन दिनों में हरियाणा, पंजाब और सीमावर्ती इलाकों में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी आग की कुछ घटनाएं सामने आई हैं।
सफर ने कहा कि दिल्ली में पीएम 2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी गुरुवार को आठ फीसदी थी जो शुक्रवार और शनिवार को बढ़कर क्रमश: 10 और 18 प्रतिशत होने का अनुमान है। सफर ने कहा कि वायु गुणवत्ता में गिरावट की एक वजह मौसम में बदलाव भी है क्योंकि सतह पर हवा की गति मंद पड़ गई है और तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से शुक्रवार को हवाओं की गति बढ़ने की उम्मीद है जिससे दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक में आंशिक सुधार होगा लेकिन 19 अक्टूबर से हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट की आशंका है।’’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए यहां के लोगों को जिम्मेदार ठहराना गलत है और जोर देकर कहा कि पराली जलाने की समस्या से निजात पाने के लिए कड़ाई से कदम उठाने की जरूरत है जो अभी नहीं हो रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण की सदस्य सुनीता नारायण ने ट्वीट किया, ‘‘स्थानीय प्रदूषण नहीं बढ़ रहा है बल्कि मौसम विपरीत है और प्रदूषण फिर से बढ़ रहा है। अगर हम बाहरी कारणों पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो समस्या का समाधान नहीं कर पाएंगे।’’