दिल्ली पुलिस जहांगीरपुरी हिंसा में पकड़े गये नाबालिग आरोपी की उम्र जानने के लिए 'बोन टेस्ट' कराएगी
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 23, 2022 06:00 PM2022-04-23T18:00:45+5:302022-04-23T18:05:32+5:30
दिल्ली पुलिस द्वारा जहांगीरपुरी हिंसा मामले में कथिततौर नाबालिग आरोपी के माता-पिता दिल्ली हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे हैं। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि उनका बच्चा 'नाबालिग' है लेकिन उसके बाद भी दिल्ली पुलिस ने उसे वयस्कों की तरह गिरफ्तार किया है।
दिल्ली: हनुमान जयंती के मौके पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के मामले में पकड़े गये एक नाबालिग आरोपी की सही उम्र जानने के लिए दिल्ली पुलिस 'बोन टेस्ट' करवा सकती है।
दरअसल कथिततौर नाबालिग आरोपी के माता-पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करके इस बात का दावा किया कि उनका बच्चा 'नाबालिग' है लेकिन उसके बाद भी दिल्ली पुलिस ने उसे वयस्कों की तरह गिरफ्तार किया है। जबकि कानून के मुताबिक नाबालिग बच्चे को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
समाचार एजेंसी एएनआई को दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि जहांगीरपुरी हिंसा में अब तक कुल 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें दो खुद को नाबालिग बता रहे हैं। इसलिए उनकी उम्र को साबित करने के लिए फिलहाल हमने एक आरोपी के बोन टेस्ट का फैसला लिया है।
मामले में दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि "गये गये आरोपियों में एक स्वयं को नाबालिग बता रहा है लेकिन पुलिस अधिकारियों का मानना है कि उसकी उम्र 21 साल है। गिरफ्तार आरोपी के मां-बाप नाबालिग होने की बात को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट पहुंचे हैं और आरोपी को नाबालिग साबित करने के लिए कुछ प्रमाण पत्रों को कोर्ट में जमा कराया है। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार आरोपी को नाबालिग मानकर उसे किशोर न्याय बोर्ड भेज दिया है।
लेकिन पुलिस सूत्रों का दावा है कि आरोपी के परिवार वाले उसे नाबालिग साबित करने के लिए सच नहीं बोल रहे हैं। यही कारण है कि पुलिस ने आरोपी का बोन टेस्ट कराने का फैसला लिया है और इसके लिए दिल्ली पुलिस जल्द ही कोर्ट में आवेदन दाखिल करेगी। इसके अलावा आरोपी के परिवार द्वारा नाबालिग सिद्ध करने के लिए जो प्रमाण पत्र कोर्ट में पेश किये गये हैं, उनकी भी गहनता से जांच की जाएगी।
मालूम हो कि बीते 16 अप्रैल को देशभर में हनुमान जयंती का आयोजन किया गया था। दिल्ली में भी हनुमान जयंती के मौके पर जहांगीरपुरी में जुलूस निकला था, जिसमें दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। जिसके बाद से वहां स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी।
मामले में सियासी मोड़ तब आ गया जब दिल्ली नगर निगम ने हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी में अतिक्रमण ध्वस्त करने के नाम पर बुलडोजर को उतार दिया था। जिसके बाद कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट की शरण में गये और निगम की कार्रवाई को एक तरफा बताते हुए उसे रोकने की मांग की।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फौरन निगम को काम रोकने का आदेश दिया लेकिन चब तक कई घर और दुकाने जमींदोज हो चुके थे।