प्रख्यात कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज का 93 वर्ष की उम्र में निधन

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 19, 2018 08:40 PM2018-07-19T20:40:51+5:302018-07-19T20:58:15+5:30

Poet and Lyricist Gopaldas Neeraj Passes Away: दिल्ली के एम्स अस्पताल में कवि गोपालदास नीरज का 19 जुलाई की शाम को निधन हो गया। गोपाल दास लंबी बीमारी से पीड़ित थे। 

Delhi: Poet and lyricist Gopaldas Neeraj passes away at AIIMS | प्रख्यात कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज का 93 वर्ष की उम्र में निधन

Poet and Lyricist Gopaldas Neeraj Passes Away

नई दिल्ली, 19 जुलाई: दिल्ली के एम्स में आज ( 19 जुलाई)  को कवि और गीतकार गोपालदास नीरज का  93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। गोपाल दास लंबी बिमारी से पीड़ित थे। बताया जा रहा है कि पिछले मंगलवार को नीरज को आगरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन तबियत ठीक नहीं होने के बाद इन्हें  दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। शाम करीब 8 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।कवि और गीतकार नीरज हिंदी साहित्य के बड़े शख्सियत में से एक थे। ऐसे मौके पर कई राजनेताओं और फिल्मी जगत के लोगों ने शोक व्यक्त किया है। 

नीरज को उनके गीतों के लिए भारत सरकार ने 1991 में और 2007 में 'पद्मश्री' और 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया था। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी अनेक गीत लिखे और उनके लिखे गीत आज भी गुनगुनाए जाते हैं। हिंदी मंचों के प्रसिद्ध कवि नीरज को उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती पुरस्कार से भी सम्मानित किया था।


गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी, 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था। वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा जगत में दो-दो बार सम्मानित किया गया है। पहले पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।  यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।

अपने इन 7 गीतों की वजह से गोपालदास नीरज हमेशा किए जाते रहेंगे याद

फिल्मी जगत में सबसे प्रसिद्ध गाना कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे' था जो लोगों की जुबान पर आज भी गुनगुनाया जाता है। राज कपूर की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' के 'ए भाई! ज़रा देख के चलो' ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया।

गोपाल दास नीरज ने 1942 में हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ इटावा की कचहरी में कुछ वक्त तक टाइपिस्ट का काम किया। एक दो जगह और नौकरी करने के बाद कानपुर के डी०ए०वी कॉलेज में क्लर्की की। फिर बाल्कट ब्रदर्स नाम की एक प्राइवेट कम्पनी में पाँच वर्ष तक टाइपिस्ट का काम किया। नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएँ देकर 1949 में इण्टरमीडिएट, 1951 में बी०ए० और 1953 में प्रथम श्रेणी में हिन्दी साहित्य से एम०ए० किया।

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