Delhi LG power nominate aldermen in MCD: आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने झटका देते हुए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 10 'एल्डरमेन' को नामित करने के दिल्ली के उपराज्यपाल के फैसले को बरकरार रखा। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली सरकार की यह दलील खारिज कर दी कि उपराज्यपाल दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में ‘एल्डरमैन’ नामित करने के संबंध में मंत्री परिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं।
उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर करीब 15 महीने तक फैसला सुरक्षित रखा। पिछले साल 17 मई को शीर्ष अदालत ने कहा था कि उपराज्यपाल को एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं। एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य हैं।
दिसंबर 2022 में ‘आप’ ने नगर निगम चुनाव में 134 वार्ड में जीत के साथ एमसीडी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था। भाजपा ने 104 सीट जीती थीं, जबकि कांग्रेस नौ सीट के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली के एलजी से अपेक्षा की जाती है कि वह क़ानून के आदेश के अनुसार काम करेंगे।
न कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार काम करेंगे। शीर्ष अदालत का फैसला दिल्ली सरकार की उस याचिका पर आया, जिसमें एलजी द्वारा दिल्ली नगर निगम में 10 'एल्डरमेन' के नामांकन को चुनौती दी गई थी। मई 2023 में शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आप सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि एमसीडी की उन वार्ड समितियों में नामांकन किया गया है जहां भाजपा कमजोर है।