JNU छात्रों पर लाठी चार्ज, सफदरजंग के मकबरे के पास पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोका
By विनीत कुमार | Published: November 18, 2019 03:55 PM2019-11-18T15:55:15+5:302019-11-18T15:55:15+5:30
जेएनयू विश्वविद्यालय के छात्र छात्रावास नियमावली के खिलाफ पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस नियमावली में छात्रावास के शुल्क में वृद्धि, ड्रेस कोड और आने-जाने का समय तय करने के नियम वाले प्रावधान हैं।
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के हजारों छात्रों को सोमवार को संसद भवन की ओर मार्च के प्रयास के तहत पुलिस की कार्रवाई का सामना करना पड़ा। इस दौरान सफदरजंग के मकबरे के पास पुलिस प्रदर्शनकारी छात्रों को रोकने में कामयाब रही। हालांकि, इससे पहले पुलिस ने जबरदस्त लाठीचार्ज भी किया जिसमें कई छात्रों को चोटें आई।
विश्वविद्यालय के छात्र, छात्रावास शुल्क में बढ़ोतरी के खिलाफ पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे अपनी मांगों की तरफ संसद का ध्यान आकृष्ट करने के लिए सड़क पर उतरे। छात्रों का कहना है कि जब तक सरकार शुल्क वृद्धि वापस नहीं ले लेती है तब तक वे प्रदर्शन करते रहेंगे। संसद की ओर से मार्च के दौरान कई छात्र अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए थे और नारेबाजी कर रहे थे।
कई छात्र हिरासत में लिये गये
सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने पहले बाबा गंगनाथ मार्ग पर छात्रों को आगे बढ़ने से रोक दिया। विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से आगे बढ़ने पर 600 मीटर की दूरी पर छात्रों को रोक दिया गया और कुछ ने जब आगे बढ़ने की कोशिश की तो उन्हें बलपूर्वक आगे बढ़ने नहीं दिया गया।
शुरुआत में विश्वविद्यालय परिसर के बाहर से अवरोधक हटाए गए थे और छात्रों को मार्च करने की इजाजत दी गई। हालांकि, झड़प के बाद स्थिति गंभीर होती चली गई और कई छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इनमें कई महिला छात्र भी शामिल हैं।
विश्वविद्यालय के छात्र छात्रावास नियमावली के खिलाफ पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस नियमावली में छात्रावास के शुल्क में वृद्धि, ड्रेस कोड और आने-जाने का समय तय करने के नियम वाले प्रावधान हैं। बता दें कि छात्रों के विरोध को देखते हुए पहले ही प्रशासन ने संसद के आसपास के क्षेत्रों में धार 144 लगा दी थी।
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा, 'दिल्ली पुलिस ने संसद भवन की तरफ जा रहे शांतिपूर्ण मार्च को रोक दिया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, समिति गठित कर छात्रों को मूर्ख बना रहा है। जब तक बातचीत हो रही है तब तक के लिए समिति शुल्क वृद्धि को खत्म क्यों नही कर देती है? हम लोग शुल्क वृद्धि को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।'
एचआरडी ने बनाई तीन सदस्यीय समिति
दूसरी ओर मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने सोमवार को तीन सदस्यीय एक समिति गठित की, जो जेएनयू की सामान्य कार्यप्रणाली बहाल करने के तरीकों पर सुझाव देगी। एचआरडी सचिव आर सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘सभी पक्षों के साथ बातचीत के जरिए जेएनयू की सामान्य कार्यप्रणाली बहाल करने और विवादित मामलों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को सलाह देने के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की है।’
इस समिति में पूर्व यूजीसी अध्यक्ष वी एस चौहान, एआईसीटीई अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे और यूजीसी सचिव रजनीश जैन शामिल हैं। सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘समिति छात्रों और प्रशासन से तत्काल बातचीत आरंभ करेगी और उठाए जाने वाले कदमों के बारे में सिफारिश देगी। यूजीसी समिति की कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक समर्थन मुहैया कराएगी।’
(भाषा इनपुट)