Delhi AIIMS: अब घर बैठे आंखों का इलाज करवाना हुआ आसान, एम्स बना रहा है नया स्मार्टफोन ऐप

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 8, 2022 03:37 PM2022-09-08T15:37:13+5:302022-09-08T15:51:04+5:30

इस पर बोलते हुए सेंटर के प्रमुख डॉ. जे एस टिटियाल ने कहा, ‘‘कोविड ने हमें यह भी अहसास कराया कि हर वक्त वैयक्तिक रूप से लोगों को देखना संभव नहीं होता है, ऐसे में लोगों से अलग-अलग तरीके से संवाद करना होता है, खासतौर से दूरदराज के इलाकों में रह रहे लोगों से।’’

Delhi AIIMS Now easy to get eye treatment sitting at home hospital making new smartphone app | Delhi AIIMS: अब घर बैठे आंखों का इलाज करवाना हुआ आसान, एम्स बना रहा है नया स्मार्टफोन ऐप

फोटो सोर्स: ANI

Highlightsनेत्र रोग के मरीजों के बेहतर इलाज और देखभाल के लिए एम्स एक ऐप बना रहा है। इस ऐप के जरिए कोई भी कहीं भी बहुत सी आसानी से एम्स के डॉक्टरों से कन्सल्ट कर सकता है। बताया जा रहा है कि इस ऐप को जल्द ही लॉन्च कर दिया जाएगा।

नई दिल्ली: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र कॉर्निया के प्रतिरोपण का इंतजार कर रहे मरीजों को बेहतर इलाज देने तथा सर्जरी करा चुके लोगों की देखभाल के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित कर रहा है। 

देशभर में नेत्र संबंधी रोगों के मरीज इस ऐप के जरिए एम्स के डॉक्टरों से परामर्श कर सकेंगे। इससे सर्जरी का इंतजार कर रहे मरीजों की लगातार निगरानी करने में भी मदद मिलेगी। 

ऐप पर क्या बोले सेंटर के प्रमुख 

सेंटर के प्रमुख डॉ. जे एस टिटियाल ने कहा, ‘‘कोविड ने हमें यह भी अहसास कराया कि हर वक्त वैयक्तिक रूप से लोगों को देखना संभव नहीं होता है, ऐसे में लोगों से अलग-अलग तरीके से संवाद करना होता है, खासतौर से दूरदराज के इलाकों में रह रहे लोगों से।’’ 

इस ऐप की यह है खुबियां

इस पर जे एस टिटियाल ने आगे कहा, ‘‘इस ऐप के जरिए डॉक्टर सीधे मरीजों से बातचीत कर सकते हैं। इसमें कैमरे की भी एक प्रणाली होगी, जिसका इस्तेमाल कर मरीज अपनी आंखों की तस्वीरें साझा कर सकते हैं तथा अपनी समस्या और लक्षण बता सकते हैं। डॉक्टर उनकी समस्या का निदान कर सकते हैं और अगर मरीज का हमारे यहां पंजीकरण है तो हम उन्हें सेंटर में भर्ती होने तथा सर्जरी का वक्त दे सकते हैं।’’ 

डॉ. टिटियाल ने बताया कि इसके अलावा इस ऐप से उन मरीजों पर भी नजर रखने में मदद करेगी, जिन्होंने सर्जरी करा ली है। उन्होंने कहा कि प्रतिरोपण सर्जरी के बाद नियमित जांच कराना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। 

इस मामले में काफी उपयोगी होगा यह ऐप

सेंटर के प्रमुख ने कहा, ‘‘अगर प्रतिरोपण कराने वाले व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली उसके प्रतिरोपित अंग पर हमला करती है तो इसका कुछ दिनों के भीतर इलाज किया जाना होता है। अगर मरीज एक या दो हफ्ते बाद आता है तो इसका इलाज नहीं किया जा सकता। अगर ऐसे मरीज पर नजर रखी जाती है तो उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है।’’ 

आपको बता दें कि इस ऐप के छह महीनों में शुरू होने की उम्मीद है। 

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