आप नेता सिसोदिया पर आरोप बहुत गंभीर किस्म के हैं, कोर्ट ने कहा- 18 विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री का पद संभाला और गवाहों के प्रभावित होने की आशंका...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 30, 2023 01:27 PM2023-05-30T13:27:52+5:302023-05-30T13:29:08+5:30

उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि 18 विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री का पद संभाला है और गवाहों के प्रभावित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

delhi aap neta manish sisodia bail petition dismiss court says allegations very serious post 18 departments possibility witnesses being influenced | आप नेता सिसोदिया पर आरोप बहुत गंभीर किस्म के हैं, कोर्ट ने कहा- 18 विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री का पद संभाला और गवाहों के प्रभावित होने की आशंका...

अदालत ने सरकार के प्रशासनिक फैसलों की भी जांच नहीं की है।

Highlightsमामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है।आबकारी नीति ‘साउथ ग्रुप’ के इशारे पर उन्हें अनुचित लाभ देने के लिए गलत इरादे से बनाई गई थी।अदालत ने सरकार के प्रशासनिक फैसलों की भी जांच नहीं की है।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर की आबकारी नीति से जुड़े उस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को मंगलवार को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि आरोप गंभीर हैं। इस मामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने ‘आप’ के नेता को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनके खिलाफ लगे आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं। सिसोदिया को मामले में 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्होंने 18 विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री का पद संभाला है और गवाहों के प्रभावित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा, ‘‘ दलीलों के मद्देनजर आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं कि आबकारी नीति ‘साउथ ग्रुप’ के इशारे पर उन्हें अनुचित लाभ देने के लिए गलत इरादे से बनाई गई थी।

इस तरह के कृत्य याचिकाकर्ता के कदाचार की ओर इशारा करते हैं जो वास्तव में एक लोक सेवक था और बेहद उच्च पद पर आसीन था।’’ अदालत ने कहा कि वर्तमान सुनवाई में न तो आबकारी नीति की जांच की गई और न ही आर्थिक नीति बनाने के संबंध में सरकार के अधिकार की। अदालत ने सरकार के प्रशासनिक फैसलों की भी जांच नहीं की है।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ चूंकि सिसोदिया के खिलाफ कदाचार के गंभीर आरोप हैं... वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं तथा 18 विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं और गवाह ज्यादातर लोक सेवक हैं, इसलिए गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।’’

न्यायाधीश ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के अनुरूप इस अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता जमानत का हकदार नहीं है। सीबीआई ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में कई दौर की पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार किया था।

सिसोदिया ने अदालत में निचली अदालत के 31 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सिसोदिया इस मामले में आपराधिक साजिश के प्रथम दृष्टया सूत्रधार थे और उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने तथा अपने सहयोगियों के लिए करीब 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में ‘‘सबसे महत्वपूर्ण व प्रमुख भूमिका’’ निभाई।

सिसोदिया अभी इस नीति के धन शोधन से जुड़े एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें नौ मार्च को गिरफ्तार किया था। मामले में उनकी जमानत याचिका को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था, जिसे उन्होंने उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी है। उस पर सुनवाई लंबित है। 

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