वर्ष रक्षा : भारतीय सुरक्षा बलों ने 2020 में चीन की आक्रामकता का करारा जवाब दिया

By भाषा | Updated: December 30, 2020 16:21 IST2020-12-30T16:21:34+5:302020-12-30T16:21:34+5:30

Defense of the year: Indian security forces give a befitting reply to China's aggression in 2020 | वर्ष रक्षा : भारतीय सुरक्षा बलों ने 2020 में चीन की आक्रामकता का करारा जवाब दिया

वर्ष रक्षा : भारतीय सुरक्षा बलों ने 2020 में चीन की आक्रामकता का करारा जवाब दिया

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर भारतीय सुरक्षा बलों के लिए 2020 कई मायनों में यादगार वर्ष रहा। पूर्वी लद्दाख में उन्होंने जहां चीन के बिना उकसावे वाली सैन्य आक्रामकता का करारा जवाब दिया वहीं भारत के साथ चीन की बढ़ती भू-राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रारूप में बदलाव किया गया ताकि दक्षिण एशिया में शक्ति का संतुलन बनाए रखा जा सके।

गलवान घाटी में 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच कई दशक में पहली बार हिंसक झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। इसके बाद दोनों सेनाओं ने संघर्ष स्थल के आसपास बड़ी संख्या में सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती की। चीनी पक्ष के सैनिक भी हताहत हुए लेकिन बीजिंग ने इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी। अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 सैनिक मारे गए।

पैंगोंग झील इलाके में उत्तरी और दक्षिणी तट के पास अगस्त में चीन की सेना द्वारा भारतीय सैनिकों को ‘‘धमकाने’’ के प्रयास के कारण स्थिति और खराब हुई जहां 45 वर्षों में पहली बार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हवा में गोलियां चलीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई की शुरुआत में लद्दाख का औचक दौरा किया जहां उन्होंने चीन को स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया कि विस्तारवाद का जमाना लद गया है और भारत के दुश्मनों ने सशस्त्र बलों की ‘‘ताकत और मजबूती’’ को देखा है।

मई के शुरुआत में गतिरोध शुरू होने के बाद दोनों पक्षों के बीच कई दौर की राजनयिक एवं सैन्य वार्ता हुई, लेकिन अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है, जिस कारण दोनों देशों की सेनाएं हिमालयी क्षेत्र में शून्य से कम तापमान पर एक-दूसरे के सामने खड़ी हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, ‘‘परीक्षा की इस घड़ी में हमारे रक्षा बलों ने अदम्य उत्साह और साहस का परिचय दिया है। उन्होंने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ पूरी बहादुरी से लड़ाई लड़ी और उन्हें पीछे जाने के लिए बाध्य किया। हमारे सुरक्षा बलों ने इस वर्ष जो उपलब्धि हासिल की है उस पर आगामी पीढ़ियां गर्व करेंगी।’’

गलवान घाटी में संघर्ष के बाद जब स्थिति खराब हुई तो भारतीय वायु सेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे प्रमुख लड़ाकू विमानों को पूर्वी लद्दाख एवं एलएसी के आसपास के इलाकों में तैनात कर दिया।

भारतीय नौसेना ने भी अपने युद्धक पोतों, पनडुब्बियों और अन्य साजो-सामान हिंद महासागर क्षेत्र में तैनात कर दिए ताकि चीन को संदेश भेजा जा सके कि भारतीय सशस्त्र बल जमीन, हवा एवं जल क्षेत्र में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

भारतीय नौसेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिकों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए पोसेडॉन-81 पनडुब्बी भेदी और निगरानी विमान की तैनाती की।

चीन की सेना की आक्रामकता को देखते हुए सेना के शीर्ष अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के सिद्धांतों में बदलाव किए जिसमें तीनों सेनाओं के बीच समन्वय पर ध्यान दिया गया और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने पर काम किया गया।

सरकार ने दीर्घावधि के लक्ष्यों पर काम करना शुरू कर दिया है जिसमें भविष्य की हथियार प्रणाली खरीदना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का व्यापक उपयोग करना शामिल है।

गतिरोध के बीच भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता में वृद्धि करने के लिए पांच राफेल विमानों का पहला जत्था जुलाई में भारत पहुंचा। करीब चार वर्ष पहले सरकार ने फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 विमानों की खरीद का समझौता किया था। नवंबर में तीन राफेल विमानों का दूसरा जत्था भारतीय वायु सेना में शामिल हुआ।

रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद करीब 23 वर्षों में पहली बार फ्रांस से राफेल विमान खरीदे गए। राफेल पूर्वी लद्दाख में उड़ान भर रहे हैं।

सशस्त्र बल पूरी दृढ़ता से सीमा पार आतंकवाद से निपट रहे हैं जबकि इस्लामाबाद जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकवादियों को भेज रहा है। नवंबर में जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में सेना ने पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले के बड़े प्रयास को विफल कर दिया।

सरकार ने 2020 में सेना में सुधार भी शुरू किया।

जनरल बिपिन रावत एक जनवरी को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष बने ताकि सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना के कामकाज में समन्वय स्थापित किया जा सके और देश की सैन्य ताकत को और मजबूती दी जा सके।

सीडीएस के गठन का मुख्य उद्देश्य सेना की कमानों को पुनर्गठित करना है ताकि संयुक्त अभियानों के दौरान संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल किया जा सके।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में रक्षा क्षेत्र में कई सुधार उपायों की घोषणा की जिसमें भारत निर्मित सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए अलग से बजट निर्धारित करना, ऑटोमेटिक रूट के तहत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करना और हर वर्ष ऐसे हथियारों की सूची बनाना जिन्हें आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी, शामिल हैं।

रक्षा मंत्री ने अगस्त में घोषणा की थी कि भारत 101 हथियारों और सैन्य साजो सामान का आयात 2024 तक रोकेगा जिसमें परिवहन विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, परंपरागत पनडुब्बियां, क्रूज मिसाइल और सोनार प्रणाली शामिल हैं।

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और कई अन्य देशों के साथ 2020 में भारत के रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग में भी काफी विस्तार हुआ।

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Web Title: Defense of the year: Indian security forces give a befitting reply to China's aggression in 2020

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