सीवीसी ने भ्रष्टाचार मामलों में सलाह पर पुनर्विचार के लिए समय सीमा बढ़ायी
By भाषा | Published: November 25, 2021 08:41 PM2021-11-25T20:41:49+5:302021-11-25T20:41:49+5:30
नयी दिल्ली, 25 नवंबर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भ्रष्टाचार के मामलों में पहले चरण की अपनी सलाह पर पुनर्विचार के लिए समयसीमा एक महीने से बढ़ाकर दो महीने तक कर दी है। बृहस्पतिवार को जारी एक आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गयी।
उसने सभी केंद्रीय सरकारी विभागों के सचिवों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों को जारी किए आदेश में कहा कि सलाह पर पुनर्विचार का प्रस्ताव केवल उन मामलों में ही भेजा जाना चाहिए, जिसमें कुछ अतिरिक्त/नए तथ्य सामने आए हैं जिन पर पहले विचार नहीं किया जा सका।
सीवीसी से सतर्कता मामलों या अनुशासनात्मक कार्रवाई में दो चरणों में सलाह ली जाती है। पहली सलाह जांच रिपोर्ट पर ली जाती है और फिर ऐसी कार्रवाई में लिए गए अंतिम फैसले से पहले सलाह ली जाती है।
मौजूदा निर्देशों के अनुसार, संबंधित सरकारी संगठनों/प्राधिकारियों को सीवीसी की सलाह मिलने की एक महीने की अवधि के भीतर उसकी पहली चरण की सलाह पर पुनर्विचार के लिए आयोग का रुख करना होता है। आयोग को सलाह पर पुनर्विचार के लिए तब कहा जाता है जब उसकी सलाह उनसे अलग होती है।
आदेश में कहा गया है कि इस मुद्दे पर आयोग ने विचार किया और ऐसा पाया कि कई बार पहले चरण की सलाह पर पुनर्विचार का प्रस्ताव एक महीने की समयसीमा के बाद मिलता है और संबंधित प्राधिकारियों द्वारा देरी के लिए दी गयी वजहें तार्किक रूप से स्वीकार्य पायी गयी।
इसमें कहा गया है कि मामले पर विस्तार से विचार करने और मौजूदा समयसीमा की समीक्षा करने के बाद आयोग ने निर्णय लिया है कि संबंधित संगठन/प्राधिकारी उसकी पहली चरण की सलाह पर पुनर्विचार का प्रस्ताव दो महीने की अवधि के भीतर भेज सकते हैं।
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