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वैक्सीन ट्रायल विवाद पर केंद्र का दो टूक, सरकार जिम्मेदार, वैक्सीन निर्माता कंपनी की जवाबदेही

By एसके गुप्ता | Updated: December 1, 2020 19:53 IST

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि मैं यह साफ कर दूं कि सरकार ने कभी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं कही है।

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ठळक मुद्देदेश में सभी को वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी।पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़े।

नई दिल्लीः कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन के ट्रायल को लेकर उठे विवाद पर केंद्र ने दो टूक कहा है कि ट्रायल में होने वाले दुष्प्रभाव के लिए केंद्र और राज्य सरकारें जिम्मेदार नहीं हैं।

इसके लिए वैक्सीन निर्माता कंपनियां और ट्रायल में शामिल एजेंसियों की जवाबदेही बनती है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में कहा कि वैक्सीनेशन में शामिल होने वाली एनजीओ और मीडिया की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह सही जानकारी लोगों तक पहुंचाए।

उन्होंने यह भी कहा कि देश में सभी को वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। संक्रमितों, गैर संक्रमितों और संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में से किसे वैक्सीन दी जाएगी, इस पर वैज्ञानिकों का मंथन जारी है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि मैं यह साफ कर दूं कि सरकार ने कभी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं कही है।

वैज्ञानिक चीजों के बारे में तथ्यों के आधार पर बात की जाए

यह जरूरी है कि ऐसे वैज्ञानिक चीजों के बारे में तथ्यों के आधार पर बात की जाए। आईसीएमआर के डीजी प्रो. बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीनेशन वैक्सीन कितनी प्रभावकारी है, उसपर निर्भर करेगा। हमारा उद्देश्य कोरोना ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना है। अगर हम खतरे वाले लोगों को टीका लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में सफल रहे तो हमें शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़े।

एस्ट्रोजेनिका की कोविशील्ड वैक्सीन ट्रायल पर चेन्नई के वॉलिएंटर द्वारा भेजे गए नोटिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि जब क्लीनिकल ट्रायल शुरू होते हैं तो लोगों से सहमति से जुड़ा फॉर्म साइन करवाया जाता है। यही प्रक्रिया दुनियाभर में है। अगर कोई ट्रायल में शामिल होने का फैसला लेता है तो इस फॉर्म में ट्रायल के संभावित उल्टे प्रभाव के बारे में बताया जाता है।

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को पूरी रिपोर्ट भेजती

वैक्सीन ट्रायल अनेक जगहों पर होता है। हर साइट पर एक इंस्टिट्यूशन इथिक्स कमिटी होती है, जो कि सरकार या मैन्युफैक्चरर से स्वतंत्र होती है। किसी बुरे प्रभाव के बाद यह कमिटी उसका संज्ञान लेती है और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को पूरी रिपोर्ट भेजती है। डा. भार्गव ने कहा कि यह रेग्युलेटर की जिम्मेदारी है कि डेटा जुटा कर पता लगाए कि क्या इवेंट और इंटरवेंशन के बीच कोई लिंक है।

राजेश भूषण ने कहा कि कोविशील्ड ट्रायल में कंपनी ने ट्रायल प्रक्रिया का पूरा पालन किया है। अब मामला कोर्ट में है। इसलिए इस पर कुछ नहीं कहूंगा। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन का इंतजार हर किसी को है। राजेश भूषण ने कहा कि वैक्सीन बनने में 8 से 10 साल लगते हैं। सबसे जल्दी बनने वाली वैक्सीन भी 4 साल में तैयार होती है। लेकिन कोरोना महामारी के असर को देखते हुए हम इसे कम समय में बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम कोरोना की वैक्सीन को 16 से 18 महीने के अंदर बना रहे हैं। 

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