Covid-19: hydroxychloroquine का महान भारतीय वैज्ञानिक PC Ray से गहरा नाता जानकर हर भारतीय को होगा गर्व
By पल्लवी कुमारी | Updated: April 11, 2020 14:53 IST2020-04-11T14:53:57+5:302020-04-11T14:53:57+5:30
हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine/ HCQ) यानी मलेरिया की दवाई दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस से लड़ने में काफी मददगार साबित हो रही है। इस दवाई पर भारत ने मार्च में बैन लगा दिया था। लेकिन विदेशों से मांग के बाद अब प्रतिबंध हटाकर HCQ का निर्यात किया जा रहा है।

Acharya Prafulla Chandra Ray (File Photo)
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के इलाज में मलेरिया की दवा यानी हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine/ HCQ) को मददगार माना जा रहा है। अमेरिका सहित दुनियाभर के कई देशों ने इस दवाई को भारत से मांगा है। भारत हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पाद भारी मात्रा में करता है। कुछ डॉक्टरों का भी दावा है कि कोरोना के इलाज में हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन काफी सफल है। इसी बीच आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय द्वारा बनाई गई एक कंपनी चर्चा का विषय बनी हुई है। प्रफुल्ल चद्र राय को भारतीय रसायन शास्त्र का जनक कहा जाता है।
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित बंगाल केमिकल्स एंड फर्मास्युटिकल्स लिमिटेड (Bengal Chemicals and Pharmaceuticals Limited) भारत की पहली मलेरिया निरोधी दवा बनाने वाली सरकारी ईकाई है। इस कंपनी को प्रफुल्ल चद्र राय ने स्थापित किया था। यही वजह है कि हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग के बाद प्रफुल्ल चद्र राय और उनकी कंपनी चर्चा में आ गए।
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग के बाद कंपनी ने कहा है कि वह जल्द ही HCQ बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करेंगे। इस कंपनी ने दशकों पहले HCQ बनाना शुरू किया था लेकिन इसका उत्पादन उन्होंने बंद कर दिया था।
जानें आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय के बारे में ये अहम जानाकरियां
- 2 अगस्त 1861 को जन्मे प्रफुल्ल चंद्र राय ने 1892 में बंगाल केमिकल्स एंड फर्मास्युटिकल्स लिमिटेड कंपनी की स्थापना की थी। इस कंपनी के पीछे प्रफुल्ल चंद्र राय की सोच थी कि बंगाल में युवाओं में इंटरप्रिन्योशिप की भावना जगाई जाए।
- 1887 में Edinburgh युनिवर्सिटी से प्रफुल्ल चंद्र राय ने डिग्री लेने के बाद प्रेसिडेंसी कॉलेज में कैमिस्ट्री पढ़ाने लगे। 1892 में 700 रुपये की लागत से उन्होंने बेंगाल केमिकल वर्क्स की शुरुआत की थी और कोलकाता में आयोजित इंडियन मेडिकल कांग्रेस के 1893 सत्र में अपने हर्बल उत्पादों को प्रस्तुत किया।
- प्रफुल्ल चंद्र राय ने सन 1901 में 2 लाख रुपये की पूंजी के साथ केमिकल्स एंड फर्मास्युटिकल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में खड़ा किया।
- प्रफुल्ल चंद्र राय ने इसके लिए कभी कंपनी से कोई वेतन नहीं लिया।
- 1908 तक प्रफुल्ल चंद्र राय ने अपनी पहचान बंगाल के औद्योगिक क्षेत्र में बना ली थी। जॉन कमिंग ने ‘Review of the Industrial Position and Prospects in Bengal’ में लिखा था कि यह कंपनी संसाधन क्षमता और व्यावसायिक क्षमता के संकेत दिखाता है, जो कि पूंजीपतियों के लिए एक अच्छा उदारहण और सबक होना चाहिए।
- प्रफुल्ल चंद्र राय के नेतृत्व में यह कंपनी तेजी से बढ़ा। 1905 में कंपनी की पहली फैक्ट्री कोलकाता के मनिकलता में स्थापित की गई। दूसरी फैक्ट्री 1920 में पनिहाटी में लगाई गई। वहीं तीसरी फैक्ट्री 1938 में मुंबई में स्थापित की गई।
- प्रफुल्ल चंद्र राय ने इस दौरान कई किताबें भी लिखीं। जिसमें से History of Hindu Chemistry – From the Earliest Times to the Middle of the Sixteenth Century AD'है। इस किताब में प्रफुल्ल चंद्र राय ने भारत की वैदिककालीन महान रसायनिक प्रयोगों और स्वदेशी रासायनिक प्रथाओं के बारे में लिखा है।
- प्रफुल्ल चंद्र राय ने 1986 में एक पेपर भी प्रकाशित किया था, जो न्यू स्टेबल केमिकल कॉम्पाउंड पर लिखा हुआ था, जिसमें विभिन्न धातुओं के नाइट्राइट्स और हाइपोनाइट्राइट्स, और अमोनिया और कार्बनिक अमाइनों के नाइट्राइट्स के बारे में जिक्र था। जिससे बड़ी संख्या में रिसर्च करने वालों को मदद मिली।
- प्रफुल्ल चंद्र राय पहले गैर-यूरोपीय शख्स थे, जिन्हें रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री ने इनकी 150 वीं जयंती पर 2011 सम्मानित किया था।
