जमानत पर फैसला करते वक्त अदालतें कारण बताने के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकती : न्यायालय

By भाषा | Published: April 20, 2021 06:28 PM2021-04-20T18:28:01+5:302021-04-20T18:28:01+5:30

Courts cannot deviate from their duty to give reasons while deciding on bail: Court | जमानत पर फैसला करते वक्त अदालतें कारण बताने के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकती : न्यायालय

जमानत पर फैसला करते वक्त अदालतें कारण बताने के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकती : न्यायालय

नयी दिल्ली, 20 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि जमानत पर फैसला करते समय कोई भी अदालत कारण बताने के ‘‘अपने कर्तव्य से विमुख’’ नहीं हो सकती क्योंकि यह मुद्दा आरोपी की स्वतंत्रता, राज्य के हित और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है।

न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के आरोपी छह लोगों को जमानत देने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को पलटते हुए ये टिप्पणी की।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पक्षों की सहमति उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने या नहीं देने का कारण बताने के कर्तव्य से विमुख होने की वजह नहीं हो सकती क्योंकि इस फैसले का एक ओर जहां आरोपी की स्वतंत्रता पर असर पड़ता है वहीं अपराधियों के खिलाफ न्याय के जनहित पर भी इसका असर होता है।

पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा मुकदमे के फैसले पर हम उच्च न्यायालय के इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि, दोनों पक्षों के वकीलों ने आगे बढ़ने की बात नहीं कही है, इसलिए यह (जमानत देने का) कारण है। जमानत देने का मुद्दा आरोपी की आजादी, राज्य के हित और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि जमानत देने या नहीं देने का फैसला लेते हुए उच्च न्यायालय या सत्र अदालतें सीआरपीसी के प्रावधान 439 के तहत आवेदन पर फैसला करते हुए तथ्यों के गुण-दोष की विस्तृत समीक्षा नहीं करेंगी क्योंकि मामले पर आपराधिक सुनवाई अभी होनी बाकी है।’’

दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 जमानत के संबंध में उच्च न्यायालय या सत्र अदालतों को प्राप्त विशेष अधिकार से संबंधित है।

शीर्ष अदालत ने इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए छह आरोपियों को आत्मसमर्पण करने को कहा है।

शीर्ष अदालत पांच व्यक्तियों की हत्या के मामले में छह आरोपियों को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में पिछले साल मई में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।

शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि प्राथमिकी दर्ज होने के चार दिन बाद एक आरोपी ने भी प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

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