न्यायालय ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने का मुद्दा उठाने वाली याचिका अस्वीकार की

By भाषा | Updated: February 11, 2021 21:12 IST2021-02-11T21:12:05+5:302021-02-11T21:12:05+5:30

Court rejects plea raising issue of overpowered prisoners in jails | न्यायालय ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने का मुद्दा उठाने वाली याचिका अस्वीकार की

न्यायालय ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने का मुद्दा उठाने वाली याचिका अस्वीकार की

नयी दिल्ली, 11 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कोविड-19 महामारी के बीच जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने का मुद्दा उठाया गया था और पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी कि अधिकतम सात साल तक की कैद की सजा का प्रावधान करने वाले अपराधों के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाए।

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया गया कि शीर्ष अदालत के 2014 के एक फैसले का उल्लंघन करते हुए मामूली अपराधों के आरोपियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। याचिका के मुताबिक उच्चतम न्यायालय ने तब अपने एक फैसले में कहा था कि अधिकतम सात वर्ष या उससे कम अवधि की कैद की सजा का प्रावधान करने वाले अपराधों के आरोपियों को बेवजह गिरफ्तार नहीं किया जाए।

इस पर पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस से पूछा, ‘‘ऐसे ठोस मामले कहां हैं, जो कथित तौर पर अर्नेश कुमार फैसले (2014 का फैसला) का उल्लंघन करते हों।’’

न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम भी पीठ का हिस्सा हैं।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता उस मामले में अवमानना याचिका दायर कर सकते हैं, जिसमें अदालत ने 2014 का फैसला सुनाया था।

उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा होगा कि आप ठोस मामलों के साथ आएं।’’

शीर्ष न्यायालय में भोपाल के रहने वाले दो लोगों की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें अधिकारियों को हर महीने जेल में कैदियों की संख्या के आंकड़े वेबसाइट पर डालने और प्रकाशित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

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Web Title: Court rejects plea raising issue of overpowered prisoners in jails

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