स्मारक घोटाला मामले में कुशवाहा पर दर्ज मुकदमा खारिज करने से अदालत का इनकार
By भाषा | Published: August 31, 2021 10:59 PM2021-08-31T22:59:40+5:302021-08-31T22:59:40+5:30
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा तथा अन्य के खिलाफ पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए 1,410 करोड़ रुपए के कथित स्मारक घोटाले के मामले में दर्ज मुकदमा खारिज करने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की पीठ ने यह आदेश कुशवाहा द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछली 27 अगस्त को जारी किया। याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए मुकदमा खारिज करने का आदेश दिए जाने का आग्रह किया कि सात साल गुजर जाने के बावजूद मामले सी जांच पूरी नहीं हो सकी है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस मामले में अभियुक्त बनाने के लिए कोई आधार नहीं है। कथित स्मारक घोटाला मामले में तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के शासनकाल के दौरान वर्ष 2014 में लोकायुक्त की रिपोर्ट पर यह मुकदमा दर्ज किया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मुकदमे में लगाए गए आरोपों और रिकॉर्ड पर ली गई सामग्री को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता, बल्कि इस मामले की जांच के लिए पर्याप्त आधार मौजूद होना प्रतीत होता है, लिहाजा मुकदमे को खारिज करने का कोई औचित्य नहीं है। मामले की जांच अनावश्यक रूप से खींचे जाने को लेकर याचिकाकर्ता की चिंता पर अदालत ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह कानून के मुताबिक मामले की तेजी से जांच कर चार हफ्ते के अंदर संबंधित अदालत के सामने पुलिस की रिपोर्ट रखें। याचिकाकर्ता के वकील सलिल श्रीवास्तव ने दलील दी कि स्मारकों के निर्माण कार्य का मामला लोक निर्माण विभाग के अधीन था और कुशवाहा कभी इस विभाग के मंत्री नहीं रहे, लिहाजा याचिकाकर्ता का इस मामले से कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है। अपर शासकीय अधिवक्ता एस एन तिलहरि ने कुशवाहा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पूर्व मंत्री के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, लिहाजा उन पर दर्ज मुकदमे को खारिज नहीं किया जाना चाहिए।
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