न्यायालय का व्हाट्सएप की नयी निजता नीति के खिलाफ याचिका पर विचार से इनकार

By भाषा | Updated: February 5, 2021 20:54 IST2021-02-05T20:54:21+5:302021-02-05T20:54:21+5:30

Court refuses to consider plea against WhatsApp's new privacy policy | न्यायालय का व्हाट्सएप की नयी निजता नीति के खिलाफ याचिका पर विचार से इनकार

न्यायालय का व्हाट्सएप की नयी निजता नीति के खिलाफ याचिका पर विचार से इनकार

नयी दिल्ली, पांच फरवरी उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें व्हाट्सएप को अपनी नयी निजता नीति को वापस लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया कि यह नीति कथित तौर पर कानून का उल्लंघन करती है और इससे देश की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि इस मामले पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई की है और याचिकाकर्ता उचित समाधान तलाश सकता है। पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी थे।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने उच्च न्यायालय का रुख करने की आजादी के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।

पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक सूद ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करने की आजादी के साथ यह याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी है। उन्हें यह इजाजत प्रदान करने के साथ रिट याचिका खारिज की जाती है। ’’

‘कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ द्वारा दाखिल याचिका में मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करने और व्हाट्सएप, फेसबुक जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी आधारित कंपनियों के लिए दिशा-निर्देश तय करने को लेकर निर्देश देने का अनुरोध किया गया।

अधिवक्ता विवेक नारायण शर्मा के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया कि केंद्र द्वारा संवैधानिक कर्तव्य निभाने और भारत के नागरिकों की निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा कर पाने में कथित नाकामी के कारण जनहित याचिका दाखिल करना जरूरी हो गया।

याचिका में दावा किया गया, ‘‘प्रतिवादी नंबर एक-केंद्र सरकार ने प्रतिवादी संख्या दो से चार को भारत में व्हाट्सएप का संचालन करने की अनुमति दी है, लेकिन नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए अभिभावक की भूमिका निभाने में वह नाकाम रहा। नागरिकों को संवाद सेवा मुहैया कराने वाले व्हाट्सएप ने हाल में असंवैधानिक शर्तें लगायी जो ना केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि इससे देश की सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है।’’

याचिका में कहा गया, ‘‘चार जनवरी 2021 को व्हाट्सएप ने अपनी नयी नीति पेश की और प्रयोक्ताओं के लिए फेसबुक और समूह की कंपनियों के साथ डाटा साझा करने को लेकर सहमति देना जरूरी बना दिया गया।’’

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि व्हाट्सएप की अद्यतन निजता नीति से नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

याचिका में कहा गया कि प्रयोक्ता इस सोच के साथ मंच पर गोपनीय सूचनाएं साझा करते हैं कि उनके निजी संवाद गोपनीय हैं और डाटा और सूचनाएं भी कभी किसी के हाथ नहीं लगेगी। इसलिए, बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों का यह दायित्व है कि वह सुनिश्चत करे कि लोगों से जो जानकारी ली जाती है वह सुरक्षित हैं और अपने वाणिज्यिक फायदों के लिए उसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

याचिका में व्हाट्सएप, फेसबुक इंक और फेसबुक इंडिया को प्रयोक्ताओं के विवरण और डाटा साझा करने से रोकने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया। याचिका में केंद्र को व्हाट्सएप, फेसबुक और इंटरनेट आधारित अन्य सेवाओं के कामकाज का नियमन करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया।

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Web Title: Court refuses to consider plea against WhatsApp's new privacy policy

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