अदालत ने बंदियों के बीच भेदभाव करने को लेकर तिहाड़ अधिकारियों की खिंचाई की

By भाषा | Updated: October 6, 2021 20:43 IST2021-10-06T20:43:10+5:302021-10-06T20:43:10+5:30

Court pulls up Tihar officials for discriminating among prisoners | अदालत ने बंदियों के बीच भेदभाव करने को लेकर तिहाड़ अधिकारियों की खिंचाई की

अदालत ने बंदियों के बीच भेदभाव करने को लेकर तिहाड़ अधिकारियों की खिंचाई की

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर दिल्ली की एक अदालत ने कुछ सुविधाएं मुहैया कराने में कैदियों के बीच ''भेदभाव'' करने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन की खिंचाई की।

एम्बियेंस समूह के प्रवर्तक राज सिंह गहलोत और अन्य के खिलाफ 800 करोड़ रुपये की कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन के मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने पाया कि व्यवसायी हेडफोन का उपयोग करके अदालत की कार्यवाही को ध्यान से समझ रहा था।

न्यायाधीश ने कहा कि जेल अधिकारियों द्वारा कैदियों को अदालती कार्यवाही देखने के लिए प्रदान किए गए हेडफोन की सुविधा एक बहुत ही स्वागत योग्य पहल है।

न्यायाधीश ने पांच अक्टूबर को मामले की सुनवाई करते हुए कहा, '' हालांकि, दुर्भाग्य से, मैंने जेल अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत की कार्यवाही में भाग लेने वाले अन्य कैदियों को समान सुविधा प्रदान करते नहीं देखा।''

उन्होंने कहा, ''मेरी राय में, राज्य अन्य कैदियों को वर्तमान मामले में आरोपी गहलोत को दी गई समान सुविधाओं से वंचित करके उनके साथ भेदभाव नहीं कर सकता। अन्य कैदी भी उसी तरह के हेडफोन का उपयोग करके अदालती कार्यवाही में प्रभावी रूप से भाग लेने के हकदार हैं जैसा कि यहां आरोपी को प्रदान किया गया है।''

न्यायाधीश ने महानिदेशक जेल को मामले को देखने और अदालत को यह बताने का निर्देश दिया कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत की कार्यवाही में भाग लेने वाले अन्य कैदियों को भी इसी तरह की सुविधा क्यों नहीं दी जा रही है?

इस बीच, अदालत ने मामले में प्रवर्तन निदेशालय के विशेष लोक अभियोजक एन के मट्टा द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए कुछ अन्य आरोपियों को तलब किया।

उल्लेखनीय है कि गुरुग्राम के एम्बियेंस मॉल के भी प्रवर्तक, गहलोत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का मामला एएचपीएल और उसके निदेशकों के खिलाफ दिल्ली में यमुना खेल परिसर के पास 1, सीबीडी, महाराज सूरजमल रोड पर स्थित पांच सितारा लीला एम्बियेंस कन्वेंशन होटल के निर्माण एवं विकास में कथित धनशोधन के लिए जम्मू के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो की 2019 में दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है।

ईडी ने गहलोत, उनकी कंपनी अमन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एएचपीएल), एम्बियेंस समूह की कुछ अन्य कंपनियों, कंपनी में निदेशक दयानंद सिंह, मोहन सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों के परिसरों पर पिछले साल जुलाई में छापे मारे थे।

ईडी की जांच में पाया गया कि 800 करोड़ रुपये से अधिक ऋण राशि के एक बड़े हिस्से का, जिसे होटल परियोजना के लिए बैंकों के परिसंघ ने मंजूरी दी थी, उसमें एएचपीएल, राज सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों ने उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों के नेटवर्क के माध्यम से हेर-फेर किया गया था।

एजेंसी का आरोप है कि ऋण राशि का एक बड़ा हिस्सा एएचपीएल द्वारा कई कंपनियों और व्यक्तियों को मौजूदा बिलों के भुगतान और सामग्री की आपूर्ति तथा निष्पादित कार्य के लिए अग्रिम भुगतान के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया था।

ईडी ने कहा था कि एम्बियेंस समूह के कर्मचारियों और गहलोत के सहयोगियों को इन कंपनियों में निदेशक और मालिक बनाया गया था तथा गहलोत इन कंपनियों में से कई के ‘‘अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता’’ थे।

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Web Title: Court pulls up Tihar officials for discriminating among prisoners

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