न्यायालय ने पत्रकारों से उनके खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए अदालत जाने को कहा

By भाषा | Published: September 8, 2021 03:28 PM2021-09-08T15:28:59+5:302021-09-08T15:28:59+5:30

Court asks journalists to move court to quash three FIRs registered against them | न्यायालय ने पत्रकारों से उनके खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए अदालत जाने को कहा

न्यायालय ने पत्रकारों से उनके खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए अदालत जाने को कहा

नयी दिल्ली,आठ सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह नहीं चाहता कि प्रेस की स्वतंत्रता कुचली जाए लेकिन वह पत्रकारों के लिए एक अलग व्यवस्था नहीं बना सकता,जिससे वे अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए सीधे उसके पास आ सकें।

उच्चतम न्यायालय ने ‘द वायर’ के तीन पत्रकारों को दो माह का संरक्षण देते हुए यह टिप्पणी की। पत्रकारों ने उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि प्राथमिकियां रद्द कराने के लिए उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पास जाना होगा।

पीठ ने कहा,‘‘ आप उच्च न्यायालय के पास जाइए और प्राथमिकियां रद्द करने का अनुरोध कीजिए। हम आपको अंतरिम राहत देंगे।’’

पीठ ने यह भी कहा,‘‘ हम पत्रकारों के लिए एक अलग व्यवस्था नहीं बना सकते,जिससे वे अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए सीधे हमारे पास आ सकें।’’

उच्चतम न्यायालय डिजिटल न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ प्रसारित करने वाले‘फाउंडेशन फॉर इडिपेंडेंट जर्नलिस्ट’ और तीन पत्रकारों- सिराज अली, मुकुल सिंह चौहान और इस्मत आरा की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

याचिकाकर्ताओं के वकील शादान फरासत के जरिए दाखिल याचिका में रामपुर, गाजियाबाद और बाराबंकी में दर्ज प्राथमिकियों और उन पर की गई कार्रवाइयों को रद्द करने की मांग की गई है।

याचिका में उत्तर प्रदेश पुलिस को इन प्राथमिकियों के संबंध में इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोकने के आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका में शीर्ष अदालत से भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के कथित दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देश देने का भी आग्रह किया गया है, जिनमें धारा 153-ए (धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) शामिल हैं।

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Web Title: Court asks journalists to move court to quash three FIRs registered against them

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