अदालत ने तरुण तेजपाल को बरी करते हुए पीड़िता के बर्ताव पर उठाया सवाल

By भाषा | Updated: May 26, 2021 19:40 IST2021-05-26T19:40:41+5:302021-05-26T19:40:41+5:30

Court acquitted Tarun Tejpal and raised questions on the behavior of the victim | अदालत ने तरुण तेजपाल को बरी करते हुए पीड़िता के बर्ताव पर उठाया सवाल

अदालत ने तरुण तेजपाल को बरी करते हुए पीड़िता के बर्ताव पर उठाया सवाल

पणजी, 26 मई गोवा की एक सत्र अदालत ने 2013 के बलात्कार मामले में पत्रकार तरुण तेजपाल को बरी करते हुए शिकायतकर्ता महिला के आचरण पर सवाल उठाए और कहा कि उसके बर्ताव में ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे लगे कि वह यौन शोषण पीड़िता है।

सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी ने 21 मई को 527 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा कि पेश किए गए सबूतों से महिला की सच्चाई पर संदेह पैदा होता है और प्रमाणित सबूत के अभाव में आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाता है।

यह आदेश मंगलवार देर रात उपलब्ध हुआ।

तहलका के पूर्व मुख्य संपादक तेजपाल को अदालत ने 21 मई को बरी कर दिया था। उनपर 2013 में गोवा के एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में अपनी सहकर्मी का यौन शोषण करने का आरोप था। यह घटना तब की है जब वे एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गोवा गए हुए थे।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह ध्यान देने वाली बात है कि पीड़िता के बर्ताव में ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे लगे कि वह यौन शोषण की पीड़िता है।’’

अदालत ने उस दावे को भी खारिज कर दिया कि पीड़िता सदमे में थी।

इसने कथित घटना के बाद भी पीड़िता द्वारा अपनी लोकेशन के बारे में आरोपी को भेजे गए संदेशों पर गौर किया और कहा कि यह आपस में मेल नहीं खाता है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि बलात्कार का पीड़िता पर काफी असर पड़ता है और उसे शर्मिंदगी महसूस होती है लेकिन साथ ही बलात्कार का झूठा आरोप आरोपी पर भी उतना ही असर डालता है, उसे शर्मिंदा करता है और उसे बर्बाद कर देता है।’’

सत्र अदालत ने कहा कि पीड़िता द्वारा आरोपी को होटल में अपनी लोकेशन के बारे में संदेश भेजना ‘‘असामान्य’’ है।

आदेश में कहा गया है, ‘‘अगर आरोपी ने हाल फिलहाल में पीड़िता का यौन शोषण किया था और वह उससे डरी हुई थी तथा उसकी हालत ठीक नहीं थी तो उसने आरोपी से बात क्यों की और उसे अपनी लोकेशन क्यों भेजी।’’

न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता ने किसी संदेश के जवाब में नहीं, बल्कि खुद अपनी तरफ से आरोपी को संदेश भेजे जो ‘‘यह साफ बताता है कि पीड़िता सदमे में या डरी हुई नहीं थी।’’

अदालत ने सीसीटीवी फुटेज और तस्वीरों पर भी गौर किया।

इसने कहा कि ये सीसीटीवी फुटेज और तस्वीरें कथित घटना के बाद की हैं जिनमें शिकायतकर्ता ‘‘पूरी तरह अच्छे मूड में, प्रसन्न, सामान्य और मुस्कराती हुई दिखाई दी तथा वह परेशान या सदमे में नहीं दिखी।’’

अदालत ने कहा कि महिला के लिफ्ट से बाहर आने की सीसीटीवी फुटेज उसके उस दावे का समर्थन नहीं करती कि वह डरी हुई या सदमे में थी।

न्यायाधीश ने कहा कि यौन उत्पीड़न के आरोप को साबित करने के लिए कोई चिकित्सीय साक्ष्य भी नहीं है क्योंकि प्राथमिकी विलंब से दर्ज कराई गई और महिला ने चिकित्सीय परीक्षण कराने से इनकार कर दिया।

अदालत ने कहा कि महिला ने दावा किया है कि उसने कथित यौन उत्पीड़न की घटना के दौरान आरोपी से संघर्ष किया था तो उसे कुछ न कुछ चोट जरूर आई होती, लेकिन शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि उसे कोई शारीरिक चोट नहीं आई।

इसने कहा कि आरोप विश्वास करने लायक नहीं है।

आदेश में कहा गया है कि शिकायतकर्ता पत्रकार के रूप में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध और लैंगिक मुद्दों से संबंधित मामलों पर लिखती थी और इसलिए वह बलात्कार तथा यौन उत्पीड़न पर ताजा कानूनों से अवगत थी।

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने कई विरोधाभासी बयान दिए और यहां तक कि उसकी मां का बयान भी उसके बयान का समर्थन नहीं करता कि वह कथित घटना के कारण सदमे में थी।

तेजपाल द्वारा 19 नवंबर 2013 को माफी मांगते हुए महिला को भेजे गए ईमेल का जिक्र करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी ने अपनी मर्जी से इसे नहीं भेजा होगा बल्कि तहलका के प्रबंध संपादक पर फौरन कार्रवाई करने को लेकर शिकायतकर्ता के ‘‘अत्यधिक दबाव’’ के कारण यह भेजा गया होगा और साथ ही संभवत: शिकायतकर्ता ने वादा किया होगा कि अगर आरोपी माफी मांगता है तो संस्थागत स्तर पर ही मामला खत्म हो जाएगा।

न्यायाधीश ने कहा कि मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने से पहले महिला ने प्रतिष्ठित वकीलों, राष्ट्रीय महिला आयोग से संबंधित एक सदस्य और पत्रकारों से भी संपर्क किया।

आदेश में कहा गया है, ‘‘विशेषज्ञों की मदद से घटनाओं से छेड़छाड़ करने या घटनाओं को जोड़ने की संभावना हो सकती है। आरोपी के वकील ने यह सही दलील दी कि शिकायकर्ता की गवाही की इस पहलू से भी जांच की जानी चाहिए।

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Web Title: Court acquitted Tarun Tejpal and raised questions on the behavior of the victim

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